
मुंबई: कोरोना (Corona) के दौरान शरीर में ऑक्सीजन (Oxygen) की मात्रा कम हो रही थी। उस समय कई मरीजों (Patients) को कृत्रिम ऑक्सीजन दी जा रही थी। हालांकि कृत्रिम ऑक्सीजन मिलने में भी दिक्कतें आती थी। कंक्रीट के जंगल में बदल चुके मुंबई (Mumbai) में पेड़ों की कमी ने ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो गई है। इसलिए वर्ष 2021 में कामा अस्पताल (Cama Hospital) में 7,026 पौधे लगाने का निर्णय लिया गया। आज वहां पर सघन वृक्षों वाला मियावाकी जंगल (Miyawaki Forest) लहलहा रहा है।
राज्य सरकार के कामा अस्पताल और अल्बेलस अस्पताल महिलाओं और बच्चों के इलाज के लिए जाना जाता है। इस अस्पताल में मरीजों का हर तरह का इलाज किया जाता है। अस्पताल में एक छोटा बगीचा था, लेकिन उसमें नाममात्र के पेड़ थे। साथ ही उस पार्क के नीचे सिमेंट कंक्रीट की एक परत थी। कोविड के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही थी। उस समय कई मरीजों को कृत्रिम ऑक्सीजन दी गई थी। उस समय कृत्रिम ऑक्सीजन मिलने में भी दिक्कतें आती थीं।
डॉ. तुषार पालवे ने अस्पताल में इस खुले बगीचे में मियावाकी (मिनी वन) लगाने का फैसला किया। उस बगीचे में 7,026 पौधे रोपे गए। इसके बाद इस मियावाकी मिनी वन को बीएमसी से संपर्क कर केशव सृष्टि के माध्यम से सीआरएस फंड से पुष्पित किया गया। 10 दिनों में यहां पेडों का रोपा गया था। इस पार्क के नीचे से कंक्रीट की परत को निकाला गया। उसमें मिट्टी मिट्टी, राख और खाद, कोको पाउडर और नीम पाउडर डालकर ग्राउंड बनाया गया। उसके बाद उस पर 74 विभिन्न प्रजातियों के 7,026 पेड़ लगाए गए। बगीचे में ड्रिप सिंचाई भी की व्यवस्था की गई। इस प्रोजेक्ट को समीर पलेजा ने डिजाइन किया था।
एक छोटे से बगीचे का उद्देश्य कम जगह में अधिक पेड़ लगाना और ऑक्सीजन पैदा करना है। इसमें पारिजात, कामिनी, पीपल, वट, बेल, कामिनी, रुक्मिणी, करंज, तगर जैसे 74 भारतीय प्रजातियों के पेड़ लगाए गए थे। उनके बाद अन्य पौधे भी लगाए गए। आज इस अस्पताल के मियावाकी जंगल ने ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई है। अस्पताल में आए लोगों को गर्मी में यहां छांव भी मिल रही है।






