
हांगकांग फंड जुटाने में चीन-भारत को पछाड़कर एशिया का नंबर वन मार्केट बना (सोर्स- सोशल मीडिया)
Hong Kong beats India China: एक बड़ा उलटफेर करते हुए हांगकांग फंड जुटाने (Fundraising) के मामले में एशिया का नंबर वन मार्केट बन गया है, जिसने चीन और भारत दोनों को पीछे छोड़ दिया है। इस साल इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO), प्लेसमेंट और ब्लॉक ट्रेड के जरिए हांगकांग के शेयर बाजार में 73 बिलियन डॉलर से अधिक की रिकॉर्ड शेयरों की बिक्री हुई है। 2013 के बाद यह पहला मौका है जब हांगकांग इस मामले में शीर्ष पर पहुंचा है। इस तेजी के पीछे चीनी कंपनियों की बड़ी डील और निवेशकों का बढ़ता भरोसा प्रमुख कारण है।
कुछ समय पहले तक हांगकांग का शेयर बाजार धीमी गति से चल रहा था, लेकिन इस साल इसमें जबरदस्त तेजी आई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, हांगकांग के शेयर बाजार में आई इस तेजी को मुख्य रूप से चीनी कंपनियों से बढ़ावा मिला है। अमेरिका के टैरिफ लगाए जाने के बावजूद इन कंपनियों ने वैश्विक स्तर पर अपना दायरा बढ़ाने के लिए बड़े सौदे किए।
उदाहरण के तौर पर, बैटरी बनाने वाली दिग्गज चीनी कंपनी कंटेंपरेरी एम्पेरेक्स टेक्नोलॉजी (CATL) ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी लिस्टिंग में 5.3 बिलियन डॉलर जुटाए। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरर BYD और स्मार्टफोन कंपनी Xiaomi कॉर्प ने भी शेयर प्लेसमेंट में 5 बिलियन डॉलर से अधिक जुटाए।
हांगकांग 2013 के बाद पहली बार एशिया में सबसे अधिक फंड जुटाने वाला बाजार बना है। वैश्विक स्तर पर भी हांगकांग अब अमेरिका के ठीक पीछे दूसरे स्थान पर है। गोल्डमैन सैक्स ग्रुप के जेम्स वांग ने उम्मीद जताई है कि यह वॉल्यूम आगे भी बढ़ता रहेगा। हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक, हांगकांग की आईपीओ पाइपलाइन काफी मजबूत है, जिसमें लगभग 300 कंपनियां अपने शेयर लिस्ट कराने का इंतजार कर रही हैं। सिंजेंटा ग्रुप और ए.एस. वॉटसन ग्रुप जैसे बड़े आईपीओ की कतार में हैं, जिसके चलते हांग सेंग इंडेक्स ने इस साल 29.5 प्रतिशत की बढ़त हासिल की है।
फंड जुटाने के मामले में भारत एशिया में दूसरे नंबर पर है। भारत में भी रिकॉर्ड तोड़ डील मेकिंग देखी गई है। लॉ फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास के मनन लाहोटी ने बताया कि भारत के बाजार में बिलियन-डॉलर से ज्यादा की डील की संख्या तेजी से बढ़ी है।
यह भी पढ़ें: Goldilocks India: गोल्डीलॉक्स अर्थव्यवस्था में किसे फायदा, किसे नुकसान? कम महंगाई, ज्यादा ग्रोथ
भारत में घरेलू म्यूचुअल फंड और खुदरा निवेशकों (Retail Investors) से बढ़ते निवेश के कारण आईपीओ ने लगातार दूसरे साल रिकॉर्ड बनाया है, जिसमें 20 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कलेक्शन हुआ है। मौजूदा शेयरहोल्डर्स भी ब्लॉक ट्रेड के जरिए अपनी होल्डिंग्स बेच रहे हैं। यह भारत के बाजार की गहराई और लचीलेपन को दर्शाता है, जिसने हांगकांग के बाद दूसरी सबसे बड़ी जगह हासिल की है।






