
चीन ने अंडरवॉटर ड्रोन टेस्ट किया (सोर्स- सोशल मीडिया)
China Underwater Drones Test: चीन आने वाले समय के लिए ऐसे खतरनाक सैन्य इंतजाम कर रहा है, जो कई देशों के लिए चिंता का कारण हैं। खासकर वे देश, जिनके चीन से रिश्ते अच्छे नहीं हैं, उन्हें अब ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। चीन की तैयारियां देख कर लगता है कि वह समुद्र के नीचे बिछी इंटरनेट केबलों, सेंसर नेटवर्क और प्रशांत व हिंद महासागर में बने रणनीतिक संतुलन को नुकसान पहुंचा सकता है।
एक रिपोर्ट में बताया गया कि चीन दक्षिण चीन सागर में बहुत बड़े बिना पायलट के चलने वाले पानी के अंदर वाले ड्रोन (XXLUUVs) के दो नए मॉडल की टेस्टिंग कर रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कभी बड़ा युद्ध हुआ, तो ये ड्रोन अमेरिका के पश्चिमी तट पर मौजूद बंदरगाहों पर भी गंभीर हमला करने की क्षमता रख सकते हैं। ये ड्रोन पनडुब्बी जितने बड़े माने जा रहे हैं, डीज़ल-इलेक्ट्रिक सिस्टम पर चलते हैं और टॉरपीडो, समुद्री माइंस और छोटे अंडरवाटर वाहनों को साथ ले जा सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबित, इनका ऑपरेशनल रेंज लगभग 18,520 किलोमीटर तक हो सकता है। इन्हें चीन के एक गुप्त नौसैनिक ठिकाने पर चुपचाप तैयार किया जा रहा है। इनका डिजाइन ऐसा है कि इनमें बड़े बैटरी बैंक और डीजल जनरेटर लगे हैं, जिससे ये लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकते हैं और प्रशांत महासागर में दुश्मन की एंटी-सबमरीन रक्षा से बच निकल सकते हैं।
इन ड्रोन से सबसे बड़ा खतरा समुद्र के भीतर बिछी इंटरनेट केबलों और सेंसर नेटवर्क को है, जो आज की अर्थव्यवस्था और सैन्य संचार की रीढ़ हैं। ताइवान के मामले में जोखिम और बढ़ जाता है, क्योंकि वह सिर्फ 24 अंडरसी केबलों पर निर्भर है। अगर ये केबल कट जाएं, तो बैंकिंग, आपात सेवाएं और सरकारी काम रुक सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन बिना गोली चलाए ऐसे ड्रोन से ताइवान की नाकाबंदी कर सकता है।
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चीन ने ऐसे उपकरण भी बनाए हैं जो 4,000 मीटर गहराई पर मोटी, स्टील-आर्मर्ड केबल तक काट सकते हैं। ये बड़े ड्रोन अमेरिका के अंडरवॉटर सेंसर नेटवर्क को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो जापान, ताइवान, फिलीपींस और जावा सागर तक फैला है और चीनी पनडुब्बियों पर नजर रखता है। किसी बड़े संघर्ष से पहले चीन इन सेंसरों को निष्क्रिय कर सकता है, ताकि उसकी पनडुब्बियां आसानी से खुले समुद्र में पहुंच सकें और उसके परमाणु हथियार वाली पनडुब्बियां सुरक्षित रहकर जवाबी हमले की क्षमता बनाए रखें।






