सरकारी आदेश (GR) की प्रतियां जलाते शिवसेना यूबीटी के नेता (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने को लेकर हुए विवाद के बाद शिवसेना (यूबीटी) ने 29 जून को एक प्रदर्शन किया था। इस दौरार हिंदी पढ़ाने को लेकर जारी सरकारी आदेश को प्रतियां जलाई गई थी। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई की। महाराष्ट्र के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने को लेकर जारी सरकारी आदेश की प्रति जलाने और विरोध प्रदर्शन करने के मामले में मुंबई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीपक पवार और करीब 250 अन्य के खिलाफ शुक्रवार को मुकदमा दर्ज किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने 29 जून को कार्यक्रम के दौरान पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने संबंधी सरकारी संकल्प (जीआर) की प्रतियां जलाई थी। इस विरोध प्रदर्शन में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, कुछ अन्य विपक्षी नेता और कुछ मराठी अभिनेता भी शामिल हुए थे, लेकिन उनके नाम प्राथमिकी में नहीं हैं।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दक्षिण मुंबई में बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की स्वामित्व वाली सड़क पर 29 जून को प्रदर्शन करने के लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा जरूरी अनुमति नहीं ली गई थी। उन्होंने बताया कि एक विश्वविद्यालय में मराठी अध्ययन केंद्र के प्रमुख और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर पवार के अलावा कार्यकर्ता संतोष शिंदे, संतोष घरात, वैभव मायेकर, शशि पवार, युगेंद्र सालेकर और संतोष वीर ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने एक पुतला भी फूंका, जो जाहिर तौर पर सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहा था। उन्होंने बताया कि प्राथमिकी में विरोध प्रदर्शन के आयोजकों और क्षेत्र में लगे सीसीटीवी फुटेज में जीआर की प्रतियां और पुतला जलाते हुए देखे गए लोगों के नाम शामिल हैं।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद उस समय मौजूद राजनीतिक नेताओं के नाम संभवतः प्राथमिकी में जोड़े जाएंगे। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रोफेसर दीपक पवार ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि वह और अन्य मराठी प्रेमी ऐसी कार्रवाइयों से विचलित नहीं होंगे।
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अधिकारी ने बताया कि उनके खिलाफ आजाद मैदान थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 189 और 223 के अलावा महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है।
महाराष्ट्र के विद्यालयों में पहली ही कक्षा से हिंदी पढ़ाने के फैसले का तीखा विरोध होने पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाद में त्रि-भाषा नीति के कार्यान्वयन पर जारी दो सरकारी आदेशों को वापस ले लिया था।