CSMT–परेल प्रोजेक्ट अटका (pic credit; social media)
CSMT–Parel project stuck: मुंबई की लोकल और लंबी दूरी की ट्रेनों को अलग कॉरिडोर देने के लिए शुरू की गई पाँचवीं और छठी लाइन परियोजना एक बार फिर अटक गई है। 2015 में जिस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी, वह 10 साल बाद भी अधूरा है। मध्य रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सीएसएमटी से परेल तक ट्रैक बिछाने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है। इसी वजह से यहां केवल पाँचवीं लाइन ही बनाई जा सकेगी, छठी लाइन फिलहाल संभव नहीं है।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य लोकल और मेल–एक्सप्रेस ट्रेनों को अलग-अलग ट्रैक देना था ताकि उपनगरीय सेवाएँ और सुगम हो सकें। लेकिन जमीन अधिग्रहण और पुनर्वास की चुनौतियों ने काम रोक रखा है। अप्रैल 2025 में कैग ने इस देरी पर नाराजगी जताई थी क्योंकि जनवरी 2024 तक ही 500.93 करोड़ रुपये (लगभग 56.22%) खर्च हो चुके थे, जबकि काम मुश्किल से शुरू हुआ था।
सबसे बड़ी अड़चन कुर्ला स्टेशन पर है, जहां सीधी अलाइनमेंट के लिए हार्बर लाइन का मौजूदा ट्रैक हटाना और प्लेटफॉर्म को ऊँचाई पर बनाना ज़रूरी है। यह तकनीकी रूप से जटिल काम है और परियोजना यहीं सबसे अधिक अटकी हुई है। इसके अलावा माटुंगा क्षेत्र में प्रोजेक्ट प्रभावित 714 परिवारों का पुनर्वास भी बड़ी चुनौती बना हुआ है।
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परियोजना की शुरुआती लागत 2014 में 890.89 करोड़ रुपये तय हुई थी, जिसे रेलवे मंत्रालय और राज्य सरकार 50:50 अनुपात में साझा कर रहे हैं। लेकिन लगातार देरी और अधिग्रहण की समस्या के कारण लागत बढ़ने की आशंका है। परियोजना दो चरणों में बननी थी—पहला चरण परेल से कुर्ला (10.10 किमी) और दूसरा चरण कुर्ला से सीएसएमटी (7.4 किमी)। फिलहाल रेलवे ने केवल पहले चरण पर ध्यान देने का निर्णय लिया है।
यात्रियों और यातायात संगठनों का मानना है कि 6वीं लाइन का रद्द होना लंबे समय से राहत की उम्मीद लगाए बैठे मुंबईकरों के लिए निराशाजनक है। पैसेंजर अँड ट्रॅफिक रिलीफ असोसिएशन ने रेलवे से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है।