पालघर स्कूल (pic credit; social media)
Maharashtra News: पालघर जिले के स्कूलों में पढ़ रहे हजारों बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जिले के 29 जिला परिषद स्कूलों की 62 कक्षाओं को जनवरी 2024 में खतरनाक घोषित कर ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था, लेकिन आठ महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
इस लापरवाही का नतीजा यह है कि बच्चे आज भी जर्जर और टूटती-फूटती इमारतों में पढ़ने को मजबूर हैं। अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
जिले की डहाणू पंचायत समिति के प्राथमिक विद्यालय की 4 कक्षाएं, वसई तालुका की 8, वाडा की 3, विक्रमगढ़ की 4, मोखदा के तकपाड़ा की 1, मोखदा के ही दस्तूरखुद क्षेत्र में 10, पिंपलपाड़ा की 3 और डोलहारा की 3 कक्षाएं बेहद खतरनाक हालत में हैं।
30 जनवरी 2024 को तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी भानुदास पालवे ने निरीक्षण कर इन कक्षाओं को खतरनाक घोषित किया था। उन्होंने आदेश दिया था कि पंजीकरण रद्द कर इन्हें ध्वस्त किया जाए। लेकिन आदेश सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया।
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खासकर मोखदा तालुका में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं। दस्तूरखुद मोखदा की 10 कक्षाओं के जीर्णोद्धार के लिए करीब 15 लाख रुपये की जरूरत है। शिक्षा विभाग का कहना है कि मरम्मत और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया बजट और तकनीकी अड़चनों में अटकी हुई है।
इस बीच, बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा दांव पर लगी हुई है। मानसून में जर्जर दीवारों और छतों से पानी टपकता है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। स्थानीय लोग बार-बार प्रशासन को चेतावनी दे चुके हैं कि कार्रवाई न होने पर वे आंदोलन करेंगे।
शिक्षा विभाग की इस लापरवाही ने सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा से बड़ा कोई मुद्दा क्यों नहीं माना जा रहा। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन देर से ही सही, लेकिन इन खतरनाक कक्षाओं को समय रहते ध्वस्त करता है या फिर किसी हादसे के बाद ही जागता है।