नदी नाले कचरे का निपटारा (pic credit; social media)
Maharashtra News: हर मानसून में जलभराव से जूझने वाली मुंबई के लिए बीएमसी प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। शहर की नदियों और नालों में तैरते कचरे को रोकने और उसका निपटान करने के लिए बीएमसी ने 22 करोड़ रुपये का मास्टरप्लान तैयार किया है। इस योजना के तहत नालों और बारिश के पानी की निकासी वाले बड़े चैनलों पर कचरा अवरोधक (Trash Barriers) लगाए जाएंगे।
बीएमसी के अनुसार, मुंबई की तीन प्रमुख नदियों – मीठी, पोइसर और दहिसर – के साथ-साथ बड़े नालों में तैरते प्लास्टिक, बोतल और अन्य अपशिष्ट को रोका जाएगा। इसके बाद इस कचरे को इकट्ठा कर उचित तरीके से निपटाया जाएगा। एक नदी या नाले की सफाई पर औसतन 3.6 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। कुल मिलाकर यह योजना शहर की सफाई व्यवस्था को नई दिशा देगी।
अधिकारियों का कहना है कि हर साल मानसून के दौरान बड़ी मात्रा में प्लास्टिक और अन्य कचरा नालों में जमा हो जाता है, जिससे पानी की निकासी बाधित होती है और निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा होती है। हाल ही में अगस्त में हुई भारी बारिश के दौरान मीठी नदी उफान पर आ गई थी और कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी थी।
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बीएमसी का मानना है कि नई योजना लागू होने के बाद मानसून में नालों और नदियों में कचरे की वजह से रुकावट नहीं होगी। इस तरह शहर की सड़कें पानी में डूबने से बचेंगी और मुंबईकरों को बड़ी राहत मिलेगी।
बीएमसी अधिकारी बताते हैं कि यह परियोजना ग्रीन और सस्टेनेबल अप्रोच को ध्यान में रखकर बनाई गई है। न केवल नालों और नदियों की सफाई आसान होगी, बल्कि पर्यावरण को होने वाला नुकसान भी कम होगा।
स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि वे नालों और जलाशयों में कचरा न फेंकें, ताकि इस योजना का असर लंबे समय तक बरकरार रह सके।
यह मास्टरप्लान लागू होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि मुंबई मानसून में जलभराव की पुरानी समस्या से काफी हद तक मुक्त हो सकेगी।