(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Amravati Flyover Project News: अमरावती के चित्रा चौक से लेकर नागपुर गेट तक निर्मित किए जा रहे फ्लाईओवर में हो रही देरी और लोगों को इससे होने वाली परेशानी को लेकर पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने अमरावती पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता द्वारा शपथपत्र में दिए गए आश्वासन के अनुसार अब 31 दिसंबर तक फ्लाईओवर पूरा करने की डेडलाइन तय कर दी है।
साथ ही हाई कोर्ट ने 5 जनवरी, 2026 के बाद सुनवाई करने के आदेश भी दिए। गत समय कोर्ट ने कहा था कि फ्लाईओवर निर्माण करने वाली ठेकेदार कम्पनी की ओर से पूरी तरह लापरवाही बरती जा रही है। इसके बाद भी विभाग की ओर से ठेकेदार पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। एक तरह से ठेकेदार को मदद की जा रही है। कोर्ट ने इस तरह की कार्यप्रणाली के लिए मुख्य अभियंता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि फ्लाईओवर का अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है। लगभग यह कार्य अंतिम चरण में है। यह जानकारी उजागर होते ही कोर्ट ने केवल कुछ कार्य के बचे होने के कारण लोगों को हो रही परेशानी पर अधिकारियों को खरी-खरी सुनाई।
हाई कोर्ट का मानना था कि अधिकारियों को लोगों की परेशानी से कुछ भी लेना-देना नहीं है। सुनवाई के दौरान फ्लाईओवर में देरी होने के कारण एवं लंबा समय होने से इसकी लागत 80 करोड़ तक पहुंचने का मामला भी उजागर हुआ। कोर्ट ने हर महीने की 10 तारीख को कार्य प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश भी विभाग को दिए।
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याचिकाकर्ता के अनुसार कार्य लगभग 7 वर्षों में भी पूरा नहीं हुआ। सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश में कहा कि अमरावती के पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता ने सुविधानुसार हलफनामा दाखिल करने से बचने का फैसला किया है और हलफनामा दाखिल करने के लिए एक उप-मंडल अभियंता को नियुक्त किया है।
हलफनामे के अवलोकन से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। 10 मार्च, 2016 तक फ्लाईओवर की प्रारंभिक लागत 60 करोड़ रुपये थी और निर्माण पूरा होने की अवधि 3 जनवरी, 2020 तक थी। लगभग 7 वर्षों तक कार्य पूरा न होने के जो कारण बताए गए हैं उसमें कोविड-19 महामारी और ठेकेदार की विफलता शामिल हैं।