गड्ढों भरी सड़क से आवागमन, (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: आमगांव तहसील मुख्यालय से तीन से पांच किलोमीटर दूर शिवनी और जवारी मार्ग पर नागरिक गड्ढों से होकर आवागमन करने को मजबूर हैं। पिछले बीस वर्षों से इस मार्ग पर निर्माण कार्य की मरम्मत न होने के कारण पूरी सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई है। जिससे नागरिकों को इस मार्ग पर आवागमन करते समय दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। आमगांव तहसील का मुख्यालय है। यहां बाजार, शैक्षणिक संस्थान, सरकारी कार्यालय हैं और ग्रामीण क्षेत्रों से नागरिक प्रतिदिन नियमित रूप से शहर आते-जाते हैं।
आमगांव शहर के मुख्य भाग तक पहुंचने के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में केवल शिवनी और जवारी की सड़कें, जो तीन से चार किलोमीटर दूर हैं, गड्ढों से भरी हैं। इस मार्ग पर चिलचालबांध स्थित क्रशर और खदान क्षेत्रों से भारी यातायात के कारण सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है। सड़क पर एक से दो फीट के गड्ढे होने से यातायात बेकाबू हो रहा है। शिक्षा और रोजगार के लिए आने वाले नागरिकों को इस मार्ग पर दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
भारी वाहन तो चल रहे हैं, लेकिन इस मार्ग पर साधारण साइकिल चलाना भी मुश्किल हो रहा है। नागरिकों ने जिला प्रशासन को बार-बार ज्ञापन देकर इस मार्ग पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है। लेकिन जिप्र ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। जिप के अधीन आने वाली ये सड़कें खस्ताहाल हैं। आमगांव- किडंगीपार- शिवनी और जवारी सड़कें पिछले 20 वर्षों से उपेक्षित हैं। जिप्र का योजना निर्माण कार्य शून्य रहने का रिकॉर्ड है।
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आमगांव तहसील के चिलचालबांध, भजेपार, डोंगरगांव, खुर्शीपार, बासीपार के खदान क्षेत्र में औद्योगिक और नागरिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित विकास निधि इस क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए नहीं दी जा रही है। उबड़-खाबड़ सड़कों पर यात्रा करते समय नागरिकों को मौत का सामना करना पड़ता है। भारी वाहनों के उपयोग के कारण इस सड़क पर गड्ढे हो गए हैं। लेकिन, जिला प्रशासन इस ओर उदासीन रवैया अपना रहा है। औद्योगिक और नागरिक क्षेत्रों के लिए विकास निधि आरक्षित होने के बावजूद, उस निधि का उपयोग इस क्षेत्र की समस्याओं की ओर नहीं किया जा रहा है।
आमगांव तहसील के शिवनी और जवरी मार्गों पर सड़कों की जर्जरता के कारण नागरिक दहशत में हैं। नागरिकों द्वारा प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से समस्या के समाधान के लिए बार-बार ज्ञापन और अनुरोध करने के बावजूद, इन सड़कों की हालत खस्ता बनी हुई है। दुर्घटनाओं में कई नागरिकों की जान जा चुकी है, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस ओर अनदेखी कर रहे हैं। अब नागरिकों ने इन गांवों में ‘नो एंट्री’ के बोर्ड लगाकर ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को रोकने का निर्णय लिया है।