गड़चिरोली में शिक्षकों ने किया जेल भरो आंदोलन (फोटो नवभारत)
गड़चिरोली: 14 अक्टूबर के सरकारी परिपत्रक के अनुसार अनुदान प्राप्ति के लिए महाराष्ट्र राज्य विना अनुदानित शाला संगठन ने 5 माह से आवश्यक प्रयास किए। लेकिन सरकारी निर्णय में टालमटोल किया जा रहा है। इससे आक्रोशित शिक्षकों ने 8 मार्च को विश्व महिला दिवस पर गड़चिरोली शहर में जेल भरो आंदोलन किया। इस आंदोलन में जिलेभर के अंशत: अनुदानित शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी सहभागी हुए। इस दौरान इसी बजट में निधि का प्रावधान कर सरकारी निर्णय निर्गमित करें, बढ़ोतरी अनुदान देने की मांग संगठन ने की।
अनुदानित शिक्षकों का अनुदान बढ़ाने की मांग को लेकर शिक्षकों ने 75 दिनों तक आंदोलन किया था। इस आंदोलन के चलते महाराष्ट्र सरकार ने प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल व कक्षाओं को अनुदान का आगामी 20 प्रतिशत बढ़ोतरी चरण 10 अक्टूबर के मंत्रिमंडल बैठक में मंजूर किया।
इसका परिपत्रक 14 अक्टूबर 2024 को निकाला गया। इसे 5 माह की कालावधि बीत गई, लेकिन अब तक सरकारी परिपत्रक पर हलचलें शुरू दिखाई नहीं दे रही हैं। शीतकालीन अधिवेशन में इस संदर्भ में निधि मंजूर होने की अपेक्षा थी। लेकिन राज्य सरकार का टालमटोल रवैये जारी रहा। जिससे अब शुरू बजट अधिवेशन में 14 अक्टूबर के निर्णय पर अमल कर निधि मंजूर करें इस मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया।
विगत 25 वर्षो से शिक्षकों की समस्या की ओर अनदेखी हो रही है। जिससे महिला शिक्षकों के साथ ही शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों ने सरकार के निषेध में घोषणा देते हुए जेलभरो आंदोलन किया।
इस आंदोलन का नेतृत्व संगठन के जिलाध्यक्ष मुरली कवाडकर, नरेंद्र बोरकर, मुरलीधर नागोसे, चंदनखेडे, नागापुरे, पुल्लूरवार, जेंगठे, गयाली, भैसारे, बावणे, येले, नमुदेव गायकवाड, औरासे, मेश्राम, राजू पिल्ली, रामगिरवार आदि ने किया। इस आंदोलन में बड़ी संख्या में अंशत: अनुदानित शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारी शामिल हुए थे।
सरकार की समय बिताने की नीति संदर्भ में शिक्षकों में नाराजगी दिखाई दी। पिछले 25 वर्षो से शिक्षक आधे पेट काम कर रहे हैं। हमारे परिवार का जीवनयापन कैसे होगा? ऐसा सवाल उपस्थित करते हुए महिला का सम्मान करने वाले दिन में हमेशा आंदोलन करने की नौबत आन पड़ने की बात कहते हुए आंदोलनकर्ताओं में तीव्र आक्रोश दिखाई दिया। सरकार की गलत नीति के कारण महिला शिक्षकों समेत शिक्षकों ने सरकार का निषेध किया है।
बिना अनुदानित स्कूलों के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को अतिरिक्त चरण अनुदान मंजूरी के लिये करीब 75 दिन कोल्हापुर में आंदोलन किया गया था। प्रस्ताव का सकारात्मक विचार कर राहत देने की मांग सांसद, विधायक ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से की थी।
महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
जिसके अनुसार विभिन्न चरण में अनुदान लेने वाले स्कूलों को 20 फीसदी अनुदान का आगामी चरण प्रस्तावित निधि समेत मंत्रिमंडल की बैठक में अनुज्ञेय किया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आवश्यक कार्रवाइयां पूर्ण करने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन उनके आदेश को वित्तमंत्री ने ताक पर रखने का आरोप आंदोलनकर्ताओं ने लगाया है।