103 गांवों में 1 ही दुग्ध संकलन केंद्र (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gadchiroli News: गड़चिरोली जिला पूरी तरह जंगल से व्याप्त है। वहीं बड़े पैमाने पर चराई क्षेत्र होकर चारा की भी कमी नहीं है। ऐसे स्थिति में 103 छोटे-बड़े गांवों का समावेश वाले आरमोरी तहसील में केवल ठाणेगांव में एक ही दुग्ध संकलन केंद्र है। तहसील में पशुओं की संख्या अधिक होने के बाद पशुपालक दुधारू पशुओं का पालन नहीं करते हैन क्योंकि दूध को उचित दाम देने वाला दुग्ध संकलन केंद्र ठाणेगांव के अलावा कहीं पर भी नहीं है।
आरमोरी तहसील के वैरागड़, ठाणेगांव में 2 दुग्ध संकलन केंद्र थे। वैरागड़ में जय किसान दुग्ध सहकारी संस्था के नाम से पंजीयनकृत सहकारी दूध डेयरी थी। इस संस्था का वित्तीय आय भी अच्छी होकर संस्था के पास स्वयं की जगह भी है। इस संकलन केंद्र पर परिसर के सुकाला, मोहझरी, वडेगांव, डोंगरतमाशी, मेंढेबोडी, नागरवाही के पशुपालन दूध बिक्री के लिए ले जा रहे थे।
लेकिन कुछ समय बाद वैरागड़ का दुग्ध सहकारी संस्था बंद पड़ गयी। तब से वैरागड़ में दूध संकलन केंद्र शुरू नहीं हुआ, अथवा संबंधित अधिकारी, पदाधिकारियों ने भी दुग्ध संकलन केंद्र शुरू करने के लिए प्रयास नहीं किया। लेकिन दूसरी ओर जंगल का क्षेत्र अधिक और चारा के लिए खुली जगह होने के बाद भी जिले में दुग्ध उत्पादकों को बढ़ावा मिले, इसलिए जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रयास होते हुए दिखाई दे रहा है।
ये भी पढ़े: ननंद-नंदोई ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर बालिका को जबरन लिया गोद! बच्ची की मां पहुंची पुलिस थाने
ग्रामीण परिसर में प्रत्येक किसानों के पास खेती जमीन है. इस जमीन में चारे का उत्पादन भी होता है। वहीं खेत परिसर में उगने वाली घास भी पशुओं के लिए उपलब्ध होता है। गांव परिसर में खुली जगह और जंगल भी है, दुग्ध बिक्री की सुविधा नहीं होने से दिक्कते निर्माण हो रही है।
सरकार के विभिन्न योजना अंतर्गत ओबीसी के लिए 50 फीसदी छूट पर तो अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए 75 से 80 फीसदी सहुलियत पर अब तक अनेक किसानों को दुधारू पशुओं का वितरण किए जाने की बात सरकार के पास दर्ज है। लेकिन इन आंकड़ों में तालमेल नहीं है। यदि किसी लाभार्थी को यह योजना मंजूर हुई तो केवल दुधारू पशु खरीदी करने के दस्तावेज दिखाकर प्रत्यक्ष में पशुओं की खरीदी नहीं की जाती है। वहीं कुछ जगहों पर पशुपालक पुराने पशु दिखाकर अनुदान का लाभ ले रहे है।