सुरक्षा बलों के जवान (सोर्स: सोशल मीडिया)
Naxalites Proposed Peace Talks: माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव नम्बाला केशव राव उर्फ बसवा राजू तथा कई अन्य नक्सली नेताओं की गिरफ्तारी व उनके निष्क्रिय किए जाने के बाद पीछे हटे हुए नक्सलियों ने अस्थायी तौर पर हथियान छाेड़ने तथा एक माह के लिए युद्ध विराम का ऐलान किया है। वहीं केंद्र सरकार से शांति स्थापना के लिए बातचीत का आह्वान किया है।
पार्टी के प्रवक्ता भूपति उर्फ अभय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि मार्च 2025 से ही वे केंद्र सरकार से शांति स्थापित करने हेतु वार्ता का प्रस्ताव दे रहे हैं। 10 मई को जारी पत्र में उन्होंने एक माह की अवधि देते हुए नक्सलियों द्वारा हथियार रखकर युद्धविराम करने और उसके दौरान माओवादी नेताओं से चर्चा करने का समय मांगा था, परन्तु केंद्र की ओर से कोई सकारात्मक उत्तर न मिलने का आरोप लगाया गया।
बयान के मुताबिक, जनवरी 2024 से सरकार ने माओवादी विरोधी घेराबंदी और सख्ती जारी रखी, जिसके परिणामस्वरूप 21 मई को महासचिव बसवा राजू समेत केंद्रीय समिति के कई सदस्य और दल के सदस्य मारे गए। कुल मिलाकर 27 नक्सली नेता ढेर हुए।
इसी परिप्रेक्ष्य में और प्रमुख नेताओं के हताहती होने से उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर पार्टी ने शस्त्र त्याग कर एक माह के लिए युद्धविराम करने का निर्णय लिया है। अभय ने कहा है कि इस एक महीना अवधि में माओवादी पार्टी आम जनता की समस्याएं उठाने के लिए अन्य राजनीतिक दलों और संगठनों के साथ सहयोग करेगी। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री या उनके प्रतिनिधियों से वीडियो कॉल के माध्यम से चर्चा करने की अपनी तैयारियों की भी जानकारी दी।
साथ ही कहा गया कि वे माओवादी विचारधारा से जुड़े विचारकों, नेताओं व जेल में बंद वरिष्ठ नेताओं से भी संवाद कर उनके मत जानेंगे। बयान में यह भी उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ में आतंकित मानी जाने वाली पीपल्स लिबरेशन गर्लिला आर्मी (पीएलजीए) की बटालियन-एक के कमांडर माडवी हिडमा को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव पदोन्नत कर नियुक्त किया गया है।
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वहीं बसवा राजू की मौत के बाद पार्टी में पॉलिट ब्यूरो सदस्य थिप्परी तिरुपति उर्फ देवजी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने की चर्चाएं भी हैं। दोनों ही नेताओं को आक्रामक छवि के नेता बताया जाता है।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि भारी संख्या में तैनात पुलिसबल और मुठभेड़ों में कई प्रमुख नक्सली नेताओं के ढेर होने के कारण अब खुले रूप में पुलिस का सामना करना मुश्किल हो गया है। इसलिए नक्सली फिलहाल बातचीत कर जनाधार बढ़ाने व स्थिति को सुलझाने की दिशा में रुख कर सकते हैं, यह संभावना जताई जा रही है।