नक्सली बसवा राजू
नारायणपुर: सुरक्षाबलों को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ बुधवार को बड़ी कामयाबी मिली। सुरक्षाबलों की ओर से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। इसी बीच नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों और नक्सलियों केबीच हुई मुठभेड़ में 27 नक्सली मारे गए। अबूझमाड़ क्षेत्र में हुई इस मुठभेड़ में एक जवान शहीद और एक जवान के घायल होने की भी खबर है।
जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों ने इस मुठभेड़ में छत्तीसगढ़ के कुख्यात नक्सली बसवा राजू को भी मार गिराया है, जिससे इस ऑपरेशनकी सफलता दोगुनी हो गई। वसवाको बहुत खतरनाक नक्सली माना जाता था, जिसके ऊपर डेढ़ करोड़ का इनाम घोषित था। राजू की मौत की खबर बाहर आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुशी जताई है। आइए आपको बताते हैं कैसे बीटेक इंजीनियर और कबड्डी खिलाड़ी इतना बड़ा नक्सली बन गया? और क्यों उसे इतना खतरनाक माना जाता था?
छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों को मिली कामयाबी और 27 नक्सलियों के मारे जाने पर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने खुशी जताई। पीएम मोदी ने कहा कि हमें अपने सैन्य बलों पर गर्व है। हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और अपने लोगों के लिए शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
Proud of our forces for this remarkable success. Our Government is committed to eliminating the menace of Maoism and ensuring a life of peace and progress for our people. https://t.co/XlPku5dtnZ — Narendra Modi (@narendramodi) May 21, 2025
2018 में बसवा राजू को गणपति की जगह सीपीआई (माओवादी) महासचिव की कमान सौंपी गई थी। माना जाता है कि पुलिस की लगातार सख्ती और छापेमारी के चलते गणपति भारत छोड़कर फिलीपींस भाग गया था। बसवा राजू का असली नाम नंबाला केशव राव है, इसके अलावा उसे गगन्ना, प्रकाश और बीआर के नाम से भी जाना जाता है। राजू ने बीटेक की पढ़ाई की थी और वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम का रहने वाला था। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सीनियर कैडर था और दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी का चीफ था। राजू छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में सक्रिय था।
जानकारी के मुताबिक, माओवादी विचारधारा के करीब आने से पहले बसवा राजू जूनियर कॉलेज में कबड्डी खिलाड़ी था। इसके बाद उसने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफटेक्नोलॉजी, वागंगल से बीटेक की डिग्री प्राप्त की थी। लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वह माओवादी विचारधारा के संपर्क में आया और इसके बाद सीपीआई में शामिल हो गया। राजू सीपीआई सैन्य आयोग का नेतृत्व कर रहा था।
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माना जाता है कि 2018 से पहले और बाद में राजू ने सीआरपीएफ के खिलाफ कई हमलों का नेतृत्व किया था। चिंतलनार में सीआरपीएफ के 76 जवानों को मारने वाले माओवादियों का नेतृत्व भी राजू ने ही किया था।