
चना और लखोरी फसलों पर इल्लियों का कहर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia Farmers: कभी बदली छाई रहती है, कभी तेज गर्मी तो कभी बेमौसम बारिश ऐसे अस्थिर मौसम ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। हाल ही में जिले में हुई हल्की वर्षा और बदलते मौसम के कारण चना और लखोरी की फसलों पर इल्लियों का प्रकोप तेजी से बढ़ा है।
फसलों को बचाने के लिए किसानों ने विभिन्न कीटनाशकों का बार-बार छिड़काव किया, लेकिन इसका कोई प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है। इससे महंगे और नामी ब्रांड के कीटनाशकों की गुणवत्ता पर किसानों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
विशेष रूप से चना फसल पर इल्लियों का प्रकोप गंभीर है। किसान बार-बार कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं, फिर भी कीट नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
किसान बताते हैं कि वे ईल्ली नाशक और अंडे नाशक घटक वाले कीटनाशकों का उपयोग कृषि केंद्र संचालकों की सलाह से कर रहे हैं। इसके बावजूद फसलों पर कीड़ों का असर कम नहीं हो रहा है, बल्कि प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है।
बदलते मौसम में अन्य फसलों पर भी कीट और रोगों का खतरा बढ़ गया है। इससे निपटने के लिए किसान लगातार महंगे कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन प्रभाव न के बराबर है।
गत वर्ष भी ऐसी ही स्थिति बनी थी, जिससे फसलों का उत्पादन घट गया था। इस वर्ष भी वही परिदृश्य दोहराता दिखाई दे रहा है। किसानों का कहना है कि वे अलग-अलग कंपनियों के कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन उपचार का कोई परिणाम नहीं निकल रहा।
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कीट प्रकोप को नियंत्रण में लाने के प्रयास अब किसानों के लिए खर्च का विषय बन गए हैं। लगातार बढ़ते छिड़काव के खर्च से किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं।
किसानों का कहना है कि अगर मौसम का यही रुख जारी रहा, तो आगे चलकर उत्पादन में भारी गिरावट और कर्ज बढ़ने का खतरा है। इस समस्या को देखते हुए किसान सरकार और कृषि विभाग से तत्काल सहायता और प्रभावी कीटनाशक समाधान की मांग कर रहे हैं।






