
गडचिरोली का 'जलक्रांति' मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर सराहा
Gadchiroli News: जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा आयोजित ‘जिलाधिकारी पेयजल संवाद’ के दूसरे सत्र में महाराष्ट्र के नक्सलग्रस्त और दुर्गम गडचिरोली जिले का ‘जल जीवन मिशन’ (JJM) मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया गया। दिल्ली में आयोजित इस राष्ट्रीय परिषद की अध्यक्षता जल शक्ति मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक कमल किशोर सोन ने की।
इस अवसर पर देशभर के 800 से अधिक जिलाधिकारी एवं जल जीवन मिशन संचालक उपस्थित थे। परिषद में गडचिरोली के जिलाधिकारी अविश्यां पांडा ने जिले की अभिनव ‘सौर ऊर्जा आधारित लघु जलापूर्ति योजना’ और ‘हनीकॉम्ब तकनीक पर आधारित वर्षा जल संचयन एवं भूजल पुनर्भरण परियोजना’ की प्रस्तुति दी।
उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन लागू होने से पहले जिले में मात्र 8.37 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन थे, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 93 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
जिलाधिकारी पांडा ने बताया कि गडचिरोली के घने जंगलों और नक्सलग्रस्त क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए “सोलर ड्यूल-पंप मिनी वॉटर सप्लाई मॉडल” विकसित किया गया है।
यह मॉडल लगभग 40 परिवारों (200 लोगों) की बस्ती के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एक ही बोरवेल पर हैंडपंप और सौर पंप दोनों संचालित होते हैं। इस ‘ड्यूल-पंप’ तकनीक के कारण बिना बिजली के 24×7 जल आपूर्ति संभव हो पाई है। इससे दूरस्थ गांवों में पेयजल संकट का स्थायी समाधान हुआ है।
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भामरागढ़ तहसील का दुर्गम कुवाकोड़ी गांव जिले का आदर्श मॉडल बन गया है। यहां स्थानीय नागरिकों और ग्राम पंचायत के सहयोग से 15 फीट गहरा कुआं खुदाई कर सौर ऊर्जा आधारित नल जलापूर्ति योजना सफलतापूर्वक लागू की गई है।
इससे पहले जहां महिलाओं और बच्चों को पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, वहीं अब गांव में निरंतर जल उपलब्धता से उनके दैनिक जीवन में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन आया है।






