बाघ को पकड़ते वनकर्मी (नवभारत फोटो)
चंद्रपुर: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में 13 दिन तक कोहराम मचाने के बाद शुक्रवार को आखिरकार पिंजरे में कैद हो गया। पिंजरे में कैद टीएटीआर 224 नर बाघ 8 वर्ष का है। शुक्रवार 23 मई की सुबह 11.30 बजे गंगासागर हेटी बीट सावर्ला रिट शासकीय भूमि सर्वेक्षण क्रमांक 2 में ट्रैग्युलाइज कर पकड़ा गया। यहां 10 मई से 22 मई तक 13 दिनों में बाघ ने 9 लोगों को अपना शिकार बनाया।
इस बाघ ने ताड़ोबा से आकर तलोधी वनपरिक्षेत्र में दो लोगों की जान ली थी। 15 अप्रैल को कुंडलिक मारोती बोरकर (45, गंगासागर हेटी) और 18 मई को मारोती नकटु शेंडे (64, वाढोना) की आलेवाही बिट में बाघ के हमले में मौत हो गई थी। इसके बाद वन विभाग ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति से बाघ को पकड़ने के प्रयास शुरू कर दिए। वन विभाग को आखिरकार शुक्रवार को इसे पकड़ने में सफलता मिल गई।
बाघ को पकड़ने की अनुमति मिलने के बाद ब्रम्हपुरी वन विभाग के उपवन संरक्षक डॉ. राकेश सेपट, सहायक वन संरक्षक ब्रम्हपुरी, सहायक वन संरक्षक महेश गायकवाड़, सहायक वन संरक्षक राकेश आहूजा, जीवविज्ञानी ब्रह्मपुरी वन विभाग के मार्गदर्शन में डॉ. रविकांत खोबरागड़े, पशु चिकित्सा अधिकारी, (वन्यजीव), टीएवीपी चंद्रपुर, और अजय मराठे पुलिस कांस्टेबल (शूटर) ने बाघ को बेहोश कर दिया और उसे पकड़ लिया।
तलोधी वन परिक्षेत्र अधिकारी अरूप कन्नमवार के नेतृत्व में अरविंद माने परिक्षेत्र सहायक तलोधी, राजेंद्र भरने वनरक्षक आकापुर, घनश्याम लोनबले वनरक्षक देवपायली, पंडित मेकेवाड़ वनरक्षक आलेवाही, स्वाब फाउंडेशन पदाधिकारी, जीवेश सयाम रेस्क्यू टीम प्रमुख स्वाब फाउंडेशन, आरआरटी टीम चंद्रपुर, सिंदेवाही परिक्षेत्र के वनरक्षक, पीआरटी सदस्य, वन मजदूर और वाहन चालकों ने सहयोग किया।
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