बांस अनुसंधान प्रशिक्षण केंद्र (सौजन्यः सोशल मीडिया)
QR Code Based System: बांस अनुसंधान प्रशिक्षण केंद्र, चिचपल्ली क्षेत्र के बांस सेटम में ‘क्यूआर कोड आधारित’ सूचना प्रणाली का उद्घाटन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) एवं वन अकादमी के निदेशक एम.एस. रेड्डी द्वारा किया गया। इस अवसर पर केंद्र के निदेशक एम.एन. खैरनार, वन मंडल अधिकारी ज्योति पवार, वन अकादमी के सत्र निदेशक संजय दहीवले, भारती रेड्डी के साथ ही संस्थान के कर्मचारी एवं छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
इस प्रणाली के अंतर्गत, प्रत्येक बांस प्रजाति के सामने लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके पर्यटक, शोधकर्ता एवं छात्र अपने मोबाइल फोन पर उस प्रजाति के वैज्ञानिक, स्थानीय नाम एवं उपयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी देख सकेंगे। यह जानकारी मराठी, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में उपलब्ध है। यह पहल पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाएगी और छात्रों एवं शोधकर्ताओं को अध्ययन के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगी। निदेशक एम.एस. रेड्डी के मार्गदर्शन में इस अभिनव अवधारणा को क्रियान्वित किया गया है।
सेवानिवृत्त वन परिक्षेत्र अधिकारी घनश्याम मेश्राम, हस्तशिल्प निदेशक किशोर गायकवाड़, पर्यवेक्षक योगिता सतरावने, सूचना प्रौद्योगिकी सहायक दीपा बिसेन को भी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बांस अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र की प्रगति में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर, रेड्डी ने राष्ट्रीय स्तर पर बांस अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के महत्व पर प्रकाश डाला। इस केंद्र की प्रमुख भूमिका वंचित और कमजोर वर्गों को विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सशक्त बनाना है, साथ ही केंद्र के माध्यम से युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
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बांस एक पर्यावरण-अनुकूल, टिकाऊ और बहुउद्देशीय प्राकृतिक संसाधन है और इसका निर्माण, फर्नीचर, हस्तशिल्प, कागज और ऊर्जा उत्पादन सहित कई उद्योगों में व्यापक रूप से उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए इस केंद्र के माध्यम से विभिन्न नवीन गतिविधियों को क्रियान्वित किया जाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन वन परिक्षेत्र अधिकारी ए.डी. मल्लेलवार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन वनपाल विलास कोसंकर ने किया।
बता दें कि बांस अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, चिचपल्ली, चंद्रपुर जिले में स्थित है। यह केंद्र “चंदा से बांदा” योजना के तहत 2018-19 में 3.99 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य राज्य भर में बांस की खेती और उपयोग को बढ़ावा देना है। वर्तमान में, इस केंद्र में 96 विभिन्न बांस की प्रजातियां मौजूद हैं और भविष्य में 106 प्रजातियों तक विस्तार करने का लक्ष्य है।