नींद में प्रशासन ,लोगों ने गड्ढों में डाला मुरम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: तुमसर-बपेरा मार्ग पर बीते कई दिनों से गड्ढों का साम्राज्य फैल चुका है। सिहोरा से बपेरा तक सड़क के बीचों-बीच 4 से 5 फीट गहरे गड्ढे बन चुके हैं। इन गड्ढों के कारण अब तक कई लोग सड़क हादसों का शिकार हो चुके हैं। पिछले दो–तीन सालों से यह समस्या जस की तस बनी हुई है, लेकिन प्रशासन और सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जन्माष्टमी के दिन बपेरा से चांदपुर जा रही कार गड्ढे में पलटने से एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। इस घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला।
नवभारत ने इस विषय पर कई बार खबरें प्रकाशित की है, मगर फिर भी लोकनिर्माण विभाग और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कुंभकर्ण की नींद सोते नजर आ रहे हैं। स्थिति से परेशान होकर 18 अगस्त को बिनाखी के उपसरपंच राजेंद्र बघेले और ग्रामीणों ने स्वयं आगे आकर गहरे गड्ढों में मुरम डालकर उन्हें अस्थायी रूप से भरने का काम किया ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। सिंदपुरी, बिनाखी और देवसरा क्षेत्र में बस स्टैंड के पास ही सड़क के बीच गहरे गड्ढे बने हुए हैं। विपक्ष की निष्क्रियता और सत्तापक्ष की उदासीनता के कारण प्रशासन मनमानी करता नजर आ रहा है।
हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस सड़क के लिए 128 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी, लेकिन आज भी यहां के गड्ढे आमजन के लिए मौत के गड्ढे बने हुए हैं। चुल्हाड के पास इसी कारण कुछ दिन पहले कंटेनर और बोलेरो में भीषण भिड़ंत हुई थी।
हादसे के बाद स्थानीय नागरिक किशोर राहंगडाले ने अपने निजी खर्च से गड्ढा भरने का काम किया। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के मौसम में गड्ढों में डाला गया मुरम पानी के बहाव से जल्दी बह जाता है, जिससे गड्ढे फिर से वैसे ही हो जाते हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए गड्ढों को डामर से स्थायी रूप से भरने की जरूरत है। यह सड़क अंतरराष्ट्रीय महामार्ग का दर्जा प्राप्त कर चुकी है, लेकिन मरम्मत कार्य के नाम पर आज तक सिर्फ चुनावी समय में कुछ स्थानों पर सतही लेप लगाकर खानापूर्ति की गई है।
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अंधेरे में गड्ढे साफ दिखाई नहीं देते, जिसके कारण दोपहिया और छोटे वाहन सीधे गड्ढों में गिर जाते हैं। कई बार चारपहिया वाहन गड्ढों से बचने के चक्कर में पलट जाते हैं या सामने से आ रहे वाहन से टकरा जाते हैं। मौजूदा हालात में यह सड़क जानलेवा साबित हो रही है। क्षेत्र के कुछ जनप्रतिनिधि आंदोलन की तैयारी में जरूर हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गड्ढों पर भी राजनीति का खेल हो रहा है।
चुनाव के दौरान सड़क पर गिट्टी और डामर डाला गया था, लेकिन चुनाव खत्म होते ही काम भी ठप पड़ गया। चूल्हाड से चांदपुर और महलगांव से सौंडया मार्ग की स्थिति भी अत्यंत जर्जर है। बीते दो सालों से निर्माण कार्य की मांग हो रही है, मगर हकीकत यह है कि सड़कों से ज्यादा गड्ढे दिखाई देते हैं और जनता इसकी कीमत अपनी जान देकर चुका रही है।
बिनाखी के उपसरपंच राजेंद्र बघेले ने कहा कि “अगर आम जनता ही गड्ढे भरने का काम करेगी तो प्रशासन और सरकार की जवाबदेही क्या रह जाएगी? मौजूदा जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या पर मौन क्यों हैं? हर दिन हादसे हो रहे हैं और जनता इसकी कीमत चुका रही है। अब सरकार और प्रशासन को कुंभकर्ण की नींद से जगाने के लिए आंदोलन भी किया जाएगा।”