समृद्धि महामार्ग (फाइल फोटो)
Samruddhi Mahamarg: समृद्धि राजमार्ग पर यातायात शुरू होने के बाद से लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वडापल्लीवार ने अधूरी व्यवस्था के कारण इस समस्या के उत्पन्न होने का कारण बताते हुए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर जनसुविधाओं के समुचित कार्यान्वयन तक एक्सप्रेस-वे को बंद करने का आदेश देने का अनुरोध किया है।
याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने समृद्धि राजमार्ग पर अपर्याप्त सुविधाओं पर असंतोष व्यक्त किया और एमएसआरडीसी सहित तेल कंपनियों की कार्यशैली की कड़ी आलोचना की। खास बात यह है कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार एमएसआरडीसी ने एक हलफनामा पेश किया। लेकिन सुविधाओं का निर्माण ही पर्याप्त नहीं है, उनका रखरखाव कौन करेगा?
इस पर असंतोष व्यक्त करते हुए कोर्ट ने यह सवाल पूछा और 4 सितंबर तक विभिन्न सुविधाओं का संयुक्त निरीक्षण और जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व एडवोकेट श्रीरंग भंडारकर ने किया। उच्च न्यायालय ने पाया कि समृद्धि एक्सप्रेस-वे में दिव्यांगजनों के अनुकूल शौचालय, महिलाओं के लिए पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन जैसी कई आवश्यक सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव था।
इसके अलावा इस मार्ग पर पेट्रोल पंपों, मेडिकल स्टोर्स या स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं पर कोई प्राथमिक चिकित्सा किट, एम्बुलेंस या चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। न्यायालय ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि रखरखाव के लिए वित्तीय प्रावधानों के बावजूद इन बुनियादी सुविधाओं का अभाव प्रतिवादियों की घोर लापरवाही को दर्शाता है और इसी के चलते सुनवाई स्थगित कर दी गई।
पिछली सुनवाई के दौरान एमएसआरडीसी और आरटीओ द्वारा एक हलफनामा भी दायर किया गया था जिसमें राजमार्ग पर वाहन चलाने वाले वाहन चालकों के लिए सुविधाएं प्रदान करने का उल्लेख किया गया था। एमएसआरडीसी ने कहा कि 701 किलोमीटर का यह राजमार्ग नागपुर, अमरावती, छत्रपति संभाजीनगर और नासिक शहरों के 4 सर्किलों से होकर गुजरता है।
यह भी पढ़ें – वो नेता जिसे जनता विरोध पर मुख्यमंत्री पद से देना पड़ा इस्तीफा, बालासाहेब भी नहीं दिला पाए जीत
बताया गया है कि इस मार्ग पर स्वच्छता, बिजली और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। याचिका में कहा गया है कि 6-लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे राज्य के कुल 10 जिलों और 390 गांवों से होकर गुजरता है। इस राजमार्ग का निर्माण पहाड़ी क्षेत्रों में 120 किलोमीटर प्रति घंटे तथा सामान्य क्षेत्रों में 150 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा के साथ किया गया है।