आवेदन देते बच्ची (फोटो नवभारत)
Bhandara Janta Darbar News: भंडारा जिले में पहली बार पालकमंत्री डॉ. पंकज भोयर द्वारा आयोजित जिला स्तरीय जनता दरबार ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब सीधे जनता के बीच आकर जवाबदेह होंगे। पहले ही दिन कुल 300 निवेदन दर्ज होना यह दर्शाता है कि जिले में समस्याओं का अंबार है और लोग समाधान की आस लेकर सीधे मंत्री तक पहुंच रहे हैं।
दोपहर 2 बजे तक 216 निवेदन दर्ज होना और उसके बाद भी लगभग 84 अतिरिक्त शिकायतें सामने आना बताता है कि नागरिकों में अपनी समस्याओं को व्यक्त करने की तीव्र इच्छा है। लेकिन यह संख्या जितनी उम्मीद जगाती है, उतनी ही चिंता भी पैदा करती है।
सवाल उठता है कि स्थानीय स्तर पर चुने गए प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी इन समस्याओं को क्यों सुलझा नहीं पाए। क्या कारण है कि ग्राम पंचायतों से लेकर तहसील कार्यालय तक की शिकायतें लंबित पड़ी हैं और लोगों को जिले के पालकमंत्री तक आना पड़ रहा है?
जनता दरबार में अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ नागरिकों का रोष सामने आना कोई नई बात नहीं, लेकिन यह एक गंभीर संकेत है। यह बताता है कि लालफीताशाही और भ्रष्टाचार अब भी स्थानीय स्तर पर आम नागरिकों को परेशान कर रहे हैं।
खासकर जब शिकायतों का बड़ा हिस्सा सड़कों, पानी और योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़ा हो तो यह विकास की धीमी रफ्तार और प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करता है।
ध्यान देने योग्य यह भी है कि शिकायतकर्ताओं में बड़ी संख्या में राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल थे। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या जनता दरबार वास्तविक समस्याओं के मंच बनेंगे या फिर राजनीतिक असंतोष प्रकट करने का साधन।
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डॉ. भोयर की सक्रियता ने उम्मीदें जगाई हैं। उनके पूर्ववर्ती पालकमंत्री अक्सर ‘झेंडा मंत्री’ कहे जाते थे क्योंकि वे केवल औपचारिक उपस्थिति दर्ज कराते थे। इसके विपरीत डॉ. भोयर ने तहसील स्तर से ही जनता दरबार की शुरुआत कर प्रशासनिक ढांचे को सक्रिय करने का संकेत दिया है।
अब असली परीक्षा यह होगी कि प्राप्त 300 निवेदनों का निस्तारण कितनी गंभीरता और गति से होता है। यदि समस्याएं वास्तव में हल होती हैं तो जनता का विश्वास मजबूत होगा और यह पहल प्रशासनिक सुधार का मॉडल बन सकती है। लेकिन यदि यह केवल दिखावा बनकर रह गई तो उम्मीदें जल्द ही हताशा में बदल जाएंगी।
जनता दरबार ने जनता की आवाज़ को मंच दिया है। अब यह डॉ। भोयर और उनके प्रशासन पर है कि वे इस आवाज़ को परिणाम में बदलकर दिखाएं। यही उनकी सबसे बड़ी चुनौती और अवसर है।