
अब ‘मिनी मंत्रालय’ की तैयारी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara politics: भद्रावती तहसील की राजनीति में सक्रिय ग्रामीण कार्यकर्ताओं ने आगामी जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों की रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ये चुनाव किसी ‘मिनी मंत्रालय’ से कम नहीं माने जाते। यही कारण है कि सभी दलों के अनेक नेता इन चुनावों में अपनी दावेदारी मज़बूत करने में जुटे हुए हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भद्रावती तालुका से भाजपा विधायक करण देवतले को ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में वोट मिले थे।
अब भाजपा के कई पदाधिकारी जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों की तैयारी में लग गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा चुनावों के नतीजों का असर जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों पर बहुत कम पड़ता है, क्योंकि इन चुनावों में स्थानीय स्तर पर व्यक्ति विशेष का प्रभाव अधिक होता है। कई इच्छुक उम्मीदवारों ने विधानसभा प्रचार के दौरान ही अपने-अपने जिला परिषद क्षेत्रों में अपनी छवि मजबूत करने की कोशिश की है।
भाजपा के सामने इस बार कांग्रेस, राकांपा (शरद पवार गट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गट) की मजबूत चुनौती रहने की संभावना है। जिला मध्यवर्ती बैंक और बाजार समिति चुनावों में कांग्रेस और भाजपा को लगभग समान सफलता मिली थी।जिला परिषद माजरी-पटाला सीट अनुसूचित जाति (सर्वसाधारण) के लिए आरक्षित है, जबकि पंचायत समिति माजरी अनुसूचित जाति (सामान्य) और पंचायत समिति पटाला ओबीसी (सामान्य) के लिए आरक्षित है।
चुनाव के मद्देनज़र शुक्रवार को शिवसेना (उद्धव ठाकरे गट) के माजरी के वरिष्ठ नेता राय और रवी भोगे ने कई कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस में प्रवेश किया। कांग्रेस ने जिला परिषद माजरी-पटाला क्षेत्र की जिम्मेदारी निहाल सिद्दीकी को सौंपी है।
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कांग्रेस की ओर से जिला परिषद माजरी-पटाला क्षेत्र से राकेश दोनतावार, पंचायत समिति माजरी से तीन बार के ग्रामपंचायत सदस्य रवी भोगे, और पंचायत समिति पटाला से पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य संध्या पोडे की उम्मीदवारी लगभग तय मानी जा रही है। वहीं, भाजपा में जिला परिषद सीट के लिए सुनील साबडे और रविंद्र धोटे के बीच रस्साकशी जारी है। माजरी पंचायत समिति के लिए सरपंच छाया जंगम और कृष्ण वनकर टिकट के लिए प्रयासरत हैं।
जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना, राकांपा, बीएसपी, भारिप सहित कई राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में उतरेंगे। ग्रामीण मतदाता आमतौर पर पार्टी से अधिक उम्मीदवार के व्यक्तित्व और कार्यों को महत्व देते हैं। इसलिए इस बार का मुकाबला कड़ा और दिलचस्प रहने की संभावना है। कांग्रेस और भाजपा दोनों में टिकट पाने के लिए कई दावेदार बड़े नेताओं के संपर्क में हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ा चुके हैं।






