एक जगह पड़ी है कचरा पेटियां (फोटो नवभारत)
Bhandara News In Hindi: अनंत चतुर्दशी को पूरे शहर में गजानन बप्पा का विसर्जन धूमधाम और श्रद्धा के साथ किया गया। भंडारा नगर परिषद ने विसर्जन की व्यवस्था शहर के पांच स्थानों पर की थी। इसमें मिस्कीन टैंक गार्डन, खामतालाब, पिंगलाई तालाब, सागर तालाब और वैनगंगा नदी। इनमें से मिस्कीन टैंक गार्डन, खामतालाब और पिंगलाई तालाब पर कृत्रिम हौद बनाए गए थे, ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो और विसर्जन विधिपूर्वक हो सके। शहरवासियों ने पूरे उत्साह से इन व्यवस्थाओं का लाभ उठाया।
कई श्रद्धालुओं ने नगर परिषद की इस पहल की प्रशंसा भी की, लेकिन जैसे ही गणेशोत्सव का समापन हुआ, सारी व्यवस्थाएं दो दिन में बिखर गईं। आज स्थिति यह है कि विसर्जन स्थलों पर अव्यवस्था, गंदगी और कचरे का ढेर दिखाई दे रहा है। नगर परिषद की अनदेखी अब श्रद्धालुओं और नागरिकों को अखर रही है।
मिस्कीन टैंक गार्डन का निरीक्षण करने पर हालात सबसे अधिक खराब नज़र आए। यहां दो कृत्रिम हौद बनाए गए थे, एक पुराना और दूसरा नया। नया हौद आनन-फानन में तैयार किया गया और विसर्जन के बाद उसी जल्दबाज़ी में तोड़ भी दिया गया। अब वहां मिट्टी, ईंट, लोहे के टुकड़े, कपड़े और सीमेंट के अवशेष बिखरे पड़े हैं।
पुराने हौद की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। यह हौद करीब तीन साल पहले फूट चुका था। तब से इसकी केवल मरम्मत करके काम चलाया जा रहा है। इसमें से पानी रिसता रहा है। प्रश्न यह है कि आखिर नगर परिषद इसे कब तक इसी तरह काम में लाती रहेगी? क्या हर वर्ष अस्थायी मरम्मत करके जिम्मेदारी पूरी हो जाएगी?
भंडारा नगर परिषद ने इस बार भी टूटा हुआ निर्माल्य कलश उपयोग में लाया। विसर्जन के बाद उसमें थोड़ी-सी सामग्री तो पड़ी हुई है, लेकिन अधिकांश निर्माल्य सीधे हरी और नीली कचरा पेटियों में डाला गया। निर्माल्य के लिए अलग व्यवस्था न कर पाना नगर परिषद की गंभीर चूक कही जा रही है।
विसर्जन के बाद छोड़ी गई गंदगी से तालाब और आसपास के इलाकों में प्रदूषण फैलने का खतरा बढ़ गया है। कपड़े, मिट्टी और अन्य सामग्री पड़ी हैं। यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकते हैं।
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नागरिकों का कहना है कि नगर परिषद ने विसर्जन के दिन तो अच्छी व्यवस्थाएं कीं, लेकिन उसके बाद की जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही। दो दिन बीतने के बाद भी जगह-जगह अव्यवस्था का माहौल बना हुआ है।
गणेशोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। ऐसे में विसर्जन स्थलों पर साफ-सफाई और सम्मानजनक व्यवस्था होना आवश्यक है। टूटा हुआ हौद, फूटा कलश और कचरा पेटियों में पड़ा निर्माल्य श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाता है।
नागरिकों का कहना है कि नगर परिषद यदि इस आयोजन को गंभीरता से नहीं लेती, तो आने वाले वर्षों में लोगों का विश्वास डगमगा सकता है।