
नहीं भूल पाएंगे बलिदान: अगस्त्य नंदा स्टारर 'इक्कीस' का फाइनल ट्रेलर रिलीज, शहीद योद्धा अरुण खेत्रपाल की कहानी देगी देशभक्ति का संदेश
The Final Trailer: बॉलीवुड में साल 2026 की शुरुआत एक ज़बरदस्त वॉर ड्रामा के साथ होने जा रही है। डायरेक्टर श्रीराम राघवन, जो ‘अंधाधुन’ जैसी थ्रिलर फ़िल्मों के लिए मशहूर हैं, अब फ़िल्म ‘इक्कीस’ (Ikkis) लेकर आ रहे हैं, जिसका फ़ाइनल ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है। यह फ़िल्म 21 साल के एक शहीद योद्धा की कहानी है, जिसने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।
फ़िल्म 1 जनवरी 2026 को नए साल के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है।
अगस्त्य नंदा का डेब्यू: बॉलीवुड के नए चेहरे अगस्त्य नंदा (अमिताभ बच्चन के नाती) इस फ़िल्म में लीड रोल निभाते हुए, शहीद अरुण खेत्रपाल का किरदार निभा रहे हैं। ट्रेलर में अगस्त्य नंदा का दमदार अंदाज़ और एक युवा सैनिक के रूप में उनका जज़्बा साफ़ दिखाई देता है।
बलिदान की गाथा: ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे 21 साल के इस नौजवान ने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी, जिसकी वीरगाथा दर्शक कभी नहीं भूल पाएंगे। श्रीराम राघवन के निर्देशन में यह कहानी एक इंटेंस वॉर ड्रामा होने का वादा करती है।
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‘इक्कीस’ फ़िल्म एक और भावनात्मक कारण से ख़ास है। इस फ़िल्म में दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र देओल की भी प्रेजेंस देखने को मिली है।
भावुक पल: दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का 24 नवंबर 2025 को निधन हो गया था, और ‘इक्कीस’ उनकी आखिरी ऑन-स्क्रीन प्रेजेंस में से एक हो सकती है। ट्रेलर में उनकी झलक देखने को मिलती है, जो उनके फैंस के लिए एक भावुक पल है।
इसके अलावा, ट्रेलर में जयदीप अहलावत और सिमर भाटिया जैसे मंझे हुए कलाकारों की झलक भी दिखाई गई है, जिससे फ़िल्म के दमदार सपोर्टिंग कास्ट का अंदाज़ा होता है।
श्रीराम राघवन के कुशल निर्देशन और अगस्त्य नंदा की एक्टिंग के दम पर, ‘इक्कीस’ फ़िल्म को नए साल पर दर्शकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।
‘इक्कीस’ की कहानी 21 साल के परमवीर चक्र विजेता शहीद अरुण खेत्रपाल पर आधारित है। शहीद अरुण खेत्रपाल एक वीर भारतीय सेना अधिकारी थे, जिन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अद्भुत बहादुरी दिखाई। उनका जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। मात्र 21 साल की उम्र में, वे 17 पूना हार्स के सेकंड लेफ्टिनेंट थे और शकरगढ़ सेक्टर में तैनात थे। 16 दिसंबर 1971 को, जब पाकिस्तानी सेना ने जारपाल में हमला किया, अरुण ने अपनी टुकड़ी के साथ जवाबी हमला किया और दुश्मन के 10 टैंक नष्ट कर दिए। उनके टैंक में आग लगने और गंभीर घायल होने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और मरते दम तक लड़ते रहे। उनकी वीरता के लिए, उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र से नवाजा गया।






