प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
21st Animal Census Report News: नवंबर 2024 में शुरू हुई देश की 21वीं पशुगणना मार्च 2025 में पूरी हो चुकी है। इसके बावजूद सात महीने बीत जाने के बाद भी इसकी अंतिम रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है। केंद्र सरकार को पूरा डेटा भेजा जा चुका है, लेकिन वह अभी तक गोपनीय रखा गया है। इससे पशुपालन नीति तय करने के लिए आवश्यक आधार उपलब्ध नहीं हो पाया है।
पशुसंवर्धन विभाग ने 25 नवंबर 2024 से यह गणना शुरू की थी। महाराष्ट्र के भंडारा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के 864 गांवों के लिए 81 गणनाकर्मी और 16 पर्यवेक्षक, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए 12 गणनाकर्मी और 2 पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे।
प्रत्येक गणनाकर्मी को ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 3,000 परिवारों और शहरी क्षेत्रों में 4,000 परिवारों की गणना की जिम्मेदारी दी गई थी। 21वीं पशुगणना में गाय, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़ा, सूअर, मुर्गावर्गीय पक्षी समेत दूध उत्पादन के लिए उपयोग होने वाले उपकरणों को भी शामिल किया गया था।
पशुओं की आयु, लिंग और नस्ल की जानकारी के साथ टैगिंग सिस्टम लागू किया गया, जिससे डेटा सीधे मोबाइल ऐप में दर्ज किया जा सका। इस बार भटकते पशुपालकों और उनके पशुओं की भी गणना की गई। ऑनलाइन रिकॉर्डिंग के दौरान नेटवर्क की समस्या आने से कई बार ऑफलाइन पंजीकरण को बाद में ऑनलाइन अपडेट करना पड़ा।
इसी वजह से गणना फरवरी तक पूरी नहीं हो सकी और मार्च के अंत तक जाकर पूर्ण हुई। कई तकनीकी दिक्कतों के बावजूद विभाग ने पशुगणना का काम सफलतापूर्वक पूरा किया।
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं, जैसे दुग्ध उत्पादन, मांस उत्पादन, कुक्कुट विकास और अन्य प्रकल्पों के आंकड़ों पर आधारित होती हैं। साल 2019 में हुई 20वीं पशुगणना के अनुसार, भंडारा जिले में कुल 3,19,897 पशुधन दर्ज किए गए थे, जिनमें 2,13,036 गायें, 10,686 भैंसें, 3,189 भेड़ें और 3,15,506 मुर्गावर्गीय पक्षी शामिल थे।
21वीं पशुगणना पहली बार मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से की गई। इसमें गाय, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गावर्गीय पक्षी, बत्तख, टर्की, सुअर, ऊँट, घोड़ा, गधा, कुत्ता, बिल्ली, खरगोश आदि सभी प्रजातियों की गिनती की गई।
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साथ ही गोशालाओं का सर्वेक्षण, भटकते पशुपालकों के पशुओं का पंजीकरण, और सड़क पर घूमने वाले कुत्ते व बिल्लियों की गिनती भी इस गणना में शामिल रही।पशुसंवर्धन विभाग के अनुसार, फिलहाल इस डेटा को गोपनीय रखा गया है और केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
आंकड़ों की अनुपलब्धता के कारण पशुपालन नीति, निधि वितरण, टीकाकरण, और औषधि आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण निर्णय प्रभावित हो सकते हैं। स्थानीय स्तर पर उम्मीद जताई जा रही है कि यह जानकारी जल्द सार्वजनिक की जाएगी ताकि आगामी योजनाओं के निर्माण में इसका उपयोग हो सके।
पशुसंवर्धन उपायुक्त डॉ. विलास गाडगे ने कहा कि भंडारा जिले के 864 गांवों में 21वीं पशुगणना मार्च महीने में सफलतापूर्वक पूर्ण की गई है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद ही यह डेटा सार्वजनिक किया जाएगा।