‘वंचित’ ने प्रेस वार्ता में दी जानकारी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अकोला: अकोला जिला परिषद के अंतर्गत 2024-25 की पिछड़ावर्ग बस्ती योजना के लिए स्वीकृत निधि का अन्यत्र हस्तांतरण किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय ने स्थगनादेश जारी किया है। अकोला जिला परिषद की समाज कल्याण समिति ने सितंबर 2024 में नियमों के अनुसार पिछड़ावर्ग बस्ती निधि मंजूर किया था।
इस निधि को वितरित करने के लिए सहायक आयुक्त, समाज कल्याण, अकोला को प्रस्ताव सौंपा गया था। 31 जनवरी 2025 को हुई जिला नियोजन समिति की बैठक में पालकमंत्री और जिलाधिकारी द्वारा दो अलग-अलग बैठक के इतिवृत्त तैयार किए गए। इसके माध्यम से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित निधि को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ।
इस निर्णय के खिलाफ पूर्व समाज कल्याण सभापति आम्रपाली खंडारे और कुछ सरपंचों ने उच्च न्यायालय, नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की। 5 मई को न्यायालय ने हस्तांतरित निधि वितरण पर रोक लगाते हुए जिलाधिकारी अकोला को शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए, यह जानकारी पूर्व समाज कल्याण सभापति आम्रपाली खंडारे ने दी है।
6 मई को शासकीय विश्रामगृह में आयोजित प्रेस वार्ता में आम्रपाली खंडारे ने कहा कि सरकार द्वारा एक ही बैठक के 2 अलग-अलग इतिवृत्त तैयार किए गए। नियमानुसार प्रस्ताव होने के बावजूद निधि को गैरकानूनी रूप से अन्य प्रयोजन के लिए हस्तांतरित किया गया। फंड ट्रांसफर में अत्यधिक जल्दबाजी की गई, जो न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। पिछड़ावर्गियों के लिए स्वीकृत निधि को अन्य संस्थान को हस्तांतरित करना पूरी तरह से अवैध है।
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याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में पालकमंत्री, समाज कल्याण विभाग सचिव, जिलाधिकारी, जिला नियोजन समिति सचिव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, और अन्य अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया है। उच्च न्यायालय में अधिवक्ता आनंद राजन देशपांडे ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखा। इस अवसर पर वंचित बहुजन आघाड़ी की प्रमुख आम्रपाली खंडारे, अरुंधति शिरसाट, प्रमोद देंडवे, ज्ञानेश्वर सुल्ताने और राजेंद्र पातोडे, विनोद देशमुख, विकास सदांशिव, पराग गवई, अविनाश खंडारे, दिलीप शिरसाट समेत अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।