
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Akola Municipal Council Elections: अकोला जिले की पांच नगरपरिषद और एक नगरपंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 26 नवंबर से प्रचार को असली रंगत मिलने की संभावना है, लेकिन अभी तक राजनीतिक दलों और नगराध्यक्ष व नगरसेवक पद के उम्मीदवारों ने अपने स्तर पर प्रचार शुरू कर दिया है।
इस प्रचार में स्थानीय विकास के मुद्दों को दरकिनार कर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला अधिक दिखाई दे रहा है। वहीं नेताओं की लड़ाई में कार्यकर्ता उपेक्षित नजर आ रहे हैं।
हिवरखेड में पहली बार नगर परिषद चुनाव हो रहा है, इसलिए नागरिकों को पहली नगराध्यक्ष से सर्वांगीण विकास की अपेक्षा है। यहां भाजपा, कांग्रेस और वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। पूर्व में यहां का जिला परिषद गट भाजपा के पास था, लेकिन 2010 के दशक में वंचित बहुजन आघाड़ी की सदस्य जिला परिषद अध्यक्ष बनी थीं।
हिवरखेड को नगर पंचायत का दर्जा दिलाने के लिए 2019 में प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था और अब नगरपरिषद अस्तित्व में आने के बाद पहली चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई है।
नवगठित हिवरखेड नगर परिषद में सड़कें और पेयजल की समस्या सबसे गंभीर है। यहां की सड़कों की हालत बेहद खराब है और कई क्षेत्रों में नागरिकों को आज भी पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है। इसलिए चुनाव प्रचार में सड़क और पानी का मुद्दा प्रमुख रहने की संभावना है।
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अकोट विधानसभा क्षेत्र में हिवरखेड, तेल्हारा और अकोट नगर परिषद आती हैं। पिछली विधानसभा चुनाव में भाजपा पहले, कांग्रेस दूसरे और वंचित बहुजन आघाड़ी तीसरे स्थान पर रही थी। इस बार नगरपरिषद चुनाव में भाजपा विधायक के साथ कांग्रेस और वंचित नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।






