अकोला न्यूज
Akola News: अकोला जिले के पातुर तहसील के चरणगांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी और विकास कार्यों में अनियमितता के आरोपों को लेकर ग्रामवासी आक्रोशित हो उठे। लगातार बारिश से घरों में पानी घुसने और समस्याओं के समाधान न होने पर ग्रामवासियों ने पंचायत समिति में पहुंचकर विरोध जताया।
ग्रामीणों ने विस्तार अधिकारी दिनकर घुगे से चर्चा की, लेकिन समाधान न मिलने पर विवाद हुआ और अधिकारी की ग्रामीणों से धक्का मुक्की होने की घटना सामने आई। इसके बाद ग्रामवासी और जनप्रतिनिधि जिला परिषद पहुंचे और परिसर में बैठा आंदोलन किया। आंदोलन के बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने मामले की जांच के आदेश जारी किए हैं।
ग्राम पंचायत के कुछ सदस्यों ने सीईओ को शिकायत दी थी कि ई-निविदा प्रक्रिया के बिना, सभा की मंजूरी या जमा-खर्च का विवरण दिए बिना 14 लाख 65 हजार 500 रु. की राशि निकाली गई। आरोप है कि इस राशि से कोई सामग्री खरीदी नहीं गई और न ही कोई विकास कार्य हुआ। ग्रामवासियों ने प्रशासनिक और फौजदारी कार्रवाई की मांग की। 29 अगस्त को पंचायत समिति में पहुंचे ग्रामवासियों में महिलाओं की संख्या अधिक थी। उन्होंने अनियमितताओं पर कार्रवाई की मांग की। विवाद के बाद सभी ग्रामीण जिला परिषद पहुंचे और बैठा आंदोलन किया।
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आंदोलन में जिला परिषद के पूर्व सदस्य विनोद देशमुख, मुरलीधर क्षीरसागर, वैशाली इंगले, समाधान आवटे, रमेश बघे, संतोष सुलताने, गणेश देशमुख, पंजाब देशमुख, दिनकर ढोकणे, पुंजाजी वायकर, सुदर्शन गाडेकर, धनंजय गाडेकर, दीपक शिंदे, रतन बावणे, वंदना शेलके, चांदा वायकर, वासुदेव उगले, बबन आवटे, दिलीप ढोकणे, राजू देशमुख, दीपक इंगले, सुनील देशमुख, धनंजय देशमुख, सुशांत देशमुख, श्रीकृष्ण इंगले सहित कई लोग शामिल हुए।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने पातुर गट विकास अधिकारी को सात दिन में जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। शिकायत में यह भी उल्लेख है कि एक ही ग्रामसेवक के पास 5-6 गांवों का कार्यभार है, जिसे कम किया जाए। यदि प्राथमिक जांच में अनियमितता पाई जाती है, तो दोषी कर्मचारियों के खिलाफ शिस्तभंग की कार्रवाई का प्रस्ताव प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया गया है।