किसानों की फसलों का नुकसान (सौजन्य-नवभारत)
Akola News: अकोला में जिले भर में 28 और 29 अगस्त को हुई लगातार अतिवृष्टि के कारण जिले के चार राजस्व मंडलों तथा तीन तहसीलों में किसानों की फसलों का भारी नुकसान हुआ है। जिले में किसान पहले ही नैसर्गिक तथा आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं। जिले में सिंचाई के साधन नहीं हैं। किसान पूरी तरह से मानसून की बारिश पर ही निर्भर हैं। ऐसी स्थिति में दो दिन हुई अतिवृष्टि के कारण किसानों की खरीफ फसलों का भारी नुकसान हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 7,875 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों की फसलों की हानि हुई है। जिन फसलों का नुकसान हुआ है उनमें सोयाबीन, कपास तथा तुअर और अन्य फसलों का समावेश है। इसी तरह फसलों के नुकसान के साथ साथ एक व्यक्ति की मौत हो जाने की जानकारी भी मिली है। चार राजस्व मंडलों में भारी नुकसान हुआ है। जिसमें अकोला, मुर्तिजापुर तहसील का भी समावेश है।
जानकारी के अनुसार अकोला और मुर्तिजापुर तहसीलों में 63 घरों का आंशिक नुकसान हुआ है, जिसमें अकोला तहसील में 60 घरों का और मुर्तिजापुर तहसील में तीन घरों का नुकसान होने की जानकारी सामने आ रही है। अकोला शहर से लगे हुए गुड़धी ओर बड़ी उमरी क्षेत्र में कई लोगों के घरों में बारिश का पानी भर जाने से उनका भारी नुकसान हुआ है।
मुर्तिजापुर तहसील में स्थित कंझरा गांव में रेखा मते (40) तथा पुत्री साक्षी अपने खेत से घर वापस लौट रही थी तभी कमलगंगा नदी में अचानक पानी बढ़ जाने से दोनों नदी के बहाव में बह गयी। उनकी पुत्री कटीलें झाड़ों में अटकने के कारण बच गयी लेकिन उसकी मां पानी के बहाव में बह गयी जिनकी खोज जारी है।
मंडल | मिमी |
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अकोला | 65.80 |
पलसो | 66.30 |
शेलू | 74.50 |
लाखपुरी | 68.50 |
शुक्रवार की देर शाम गायगांव आईल डिपो से अकोला की तरफ आनेवाला टैंकर क्र.एमए 22 एडी 3121 डाबकी के नाले में पुल पर से नीचे गिर गया। टैंक के ड्रायवर तथा क्लीनर विजय अमृतकर और राजेश अहंकरे को गांव के लोगों ने नाले के पानी से बाहर निकाल लिया।
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इस बारे में वरिष्ठ सहकार नेता तथा किसान हिदायत पटेल का कहना है कि, सरकार का काम है कि, जिले में प्रति एकड़ में किसानों का जितना नुकसान हुआ है उसमें उत्पादन कितना होने वाला था। उत्पादन में कितना खर्च आता है उस अनुसार हिसाब निकाल कर जिले में किसानों को नुकसान भरपाई दें। कुछ थोड़ी बहुत नुकसान भरपाई की घोषणा कर के किसानों के आंसू पोछने का नाटक न करते हुए गंभीरता से किसानों की आर्थिक मदद करें।