कुल्लू दशहरा (सौ.सोशल मीडिया)
Kullu Dussehra Festival 2024: आज यानि 12 अक्टूबर को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक यानि दशहरा मनाया जा रहा हैं जिसकी धूम देश के कोने-कोने में हैं। वहीं पर इधर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा का बड़ा आयोजन होने वाला है इसकी शुरुआत 13 अक्टूबर से की जाएगी। इस दशहरा के आयोजन को इंटरनेशनल दशहरा कहा जाता हैं क्योंकि इसमें केवल देश ही नहीं विदेश से ही पर्यटक शामिल होने आते हैं। आखिर कैसा होता हैं इस दशहरा का आयोजन चलिए जानते हैं इस लेख में।
यहां पर कुल्लू के इस दशहरे की शुरुआत भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ होती है। विजय दशमी के दिन जहां सब जगह रावण के पुतले जलाकर दशहरा मनाया जाता है तो वहीं, कुल्लू में रथयात्रा निकाली जाती है। इस खास दशहरे को लेकर बात करें तो, इस रथयात्रा में 300 से ज्यादा देवी-देवता दशहराउत्सव में हिस्सा लेते हैं तो वहीं पर इसे मनाने की शुरुआत साढ़े 300 साल पहले ही हो गई है।
इस खास दशहरे से जुड़ी कथा बताते चलें तो, राजा जगत सिंह के शासन में मणिकर्ण घाटी के गांव टिप्परी में एक गरीब ब्राह्मण रहता था, राजा जगत सिंह की किसी गलतफहमी के चलते ब्राह्मण ने आत्मदाह कर लिया।जिसके बाद ब्राह्मण की मौत का दोष राजा पर लगा और उन्हें असाध्य रोग हो गया। इसकी वजह से राजा की हालत खराब हो गई। उन्हें एक बाबा ने सलाह दी कि वह अयोध्या के त्रेतानाथ मंदिर से भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी की मूर्ति लाएं. अपना सारा राज-पाठ भगवान के नाम कर दें तो इससे उन्हें इस दोष से मुक्ति मिल जाएगी।
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इसके बाद जब राजा ने सन् 1653 में रघुनाथ जी की प्रतिमा को मणिकर्ण मंदिर में रखा. इसके 7 सालों बाद यानी 1660 में इसे विधि-विधान से कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया गया इसके बाद राजा को रोग से आराम हुआ। इस तरह से भगवान रघुनाथ के सम्मान में कुल्लू में दशहरा मनाते है।
कहा जाता हैं यह दशहरा बड़ा ही प्रसिद्ध हैं जिसका उत्सव माता हडिम्बा के आगमन से शुरू होता है जो एक हफ्ते तक लगातार चलता है। इस उत्सव के दौरान अलग-अलग राज्यों के सांस्कृतिक दल और विदेशों से लोक नर्तक अपनी शानदार प्रस्तुतियां पेश करते हैं जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ देश के कोने-कोने से लगती है।