अब्दुल गनी भट का निधन, फोटो- सोशल मीडिया
Abdul Ghani Bhat Passed Away:अब्दुल गनी भट के निधन की खबर से कश्मीर की राजनीतिक और सामाजिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गई। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और हुर्रियत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
भट को उनके पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से उनकी तबीयत लगातार खराब चल रही थी। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने अब्दुल गनी भट के निधन पर गहरा शोक जताया।
मीरवाइज उमर फारूक ने अब्दुल गनी भट के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उन्हें यह सूचना भट के बेटे ने दी। मीरवाइज ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “मैंने अपने सबसे प्रिय मित्र और सहयोगी प्रोफेसर अब्दुल गनी भट को खो दिया है। यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ी क्षति है। अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे। कश्मीर ने एक ईमानदार और दूरदर्शी नेता को खो दिया है।”
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने शोक संदेश में लिखा, “मैं प्रोफेसर अब्दुल गनी भट के निधन के समाचार से दुखी हूं। हमारी विचारधाराएं भले अलग थीं, लेकिन वे एक बेहद सभ्य और अच्छे इंसान थे। उन्होंने ऐसे समय में बातचीत की वकालत की, जब अधिकतर लोग हिंसा को ही रास्ता मानते थे।”
सीएम ने यह भी बताया कि भट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से भी मुलाकात की थी।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद भट ने कठिन समय में उन्हें हमेशा सांत्वना दी। उन्होंने लिखा, “कश्मीर के उथल-पुथल वाले दौर में वे संयम की आवाज थे। वे एक विद्वान, शिक्षक और बुद्धिजीवी थे। उन्होंने हमेशा कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया।”
I am deeply saddened to hear of the passing of Professor Abdul Gani Bhat sb. He was a voice of moderation amidst the tumultuous history of Kashmir an esteemed scholar, teacher, and intellectual with a pragmatic approach to politics. A strong advocate for the peaceful resolution…
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 17, 2025
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अब्दुल गनी भट को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के भीतर एक ऐसे नेता के रूप में जाना जाता था जो कट्टरपंथ से दूर रहते हुए शांति और संवाद के पक्षधर थे। बताया जाता है कि जब कश्मीर में हिंसा चरम पर थी, तब सैयद अली शाह गिलानी और मसर्रत आलम जैसे नेताओं के बीच वे एक संयमित और संवाद-प्रिय नेता के रूप में पहचाने जाते थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार और मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के साथ हुर्रियत की बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी।