बैठक में मौजूद रूपाली चाकणकर व अन्य (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Child Marriage Prevention: अक्षय तृतीया और तुलसी विवाह जैसे शुभ मुहूर्तों पर बड़े पैमाने पर बाल विवाह किए जाते हैं। कुछ जगहों पर तो जन्मतिथि में बदलाव कर विवाह संपन्न कराए जाते हैं। ऐसे बाल विवाह रोकने के लिए पुलिस पाटिल, ग्रामसेवक आदि की बैठकें आयोजित की जानी चाहिए।
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने अपील की है कि दामिनी पथक और बिट मार्शल को स्कूल-कॉलेजों में जाकर लड़कियों का समुपदेशन करना चाहिए। बाल विवाह को रोकना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है, इसके लिए मिलकर प्रयास करें।
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने वर्धा में जिलाधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में भाग लिया।
बैठक में जिलाधिकारी वान्मथी सी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी पराग सोमण, पुलिस अधीक्षक अनुराग जैन, राज्य महिला आयोग की उप सचिव डॉ. पद्मश्री बैनाडे, विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विवेक देशमुख, जिला महिला और बाल विकास अधिकारी मनीषा कुरसुंगे समेत विभिन्न विभागों के प्रमुख उपस्थित थे।
चाकणकर ने कहा कि बस स्टैंड पर ‘हिरकणी कक्ष’ हमेशा चालू रहना चाहिए। महिला शौचालयों में महिला सफाईकर्मियों की ही नियुक्ति होनी चाहिए। कन्या भ्रूण हत्या आज भी एक गंभीर समस्या है। इसे रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने स्वास्थ्य विभाग निर्देश दिए कि अस्पतालों पर आकस्मिक छापे मारें और यदि कोई दोषी पाया जाए, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज कर उसका लाइसेंस रद्द किया जाए।
महिलाओं के लिए उपलब्ध छात्रावास, लेक लाडकी योजना, मनोधैर्य योजना, माझी कन्या भाग्यश्री योजना, छात्राओं के लिए स्कूलों में उपलब्ध सुविधाएं, महिलाओं के लिए चलाई जा रही व्यावसायिक प्रशिक्षण योजनाएं, सखी वन स्टॉप सेंटर, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, भरोसा सेल, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना और महिलाओं पर हुए अत्याचारों के लंबित मामलों की विस्तृत समीक्षा की।
चाकणकर ने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए समाज मंदिरों, प्रिंटिंग प्रेस और फोटोग्राफरों को नोटिस जारी करें। इसके साथ ही बाल विवाह से संबंधित जानकारी देने हेतु टोल-फ्री नंबर की जनजागरूकता करें। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को प्राथमिकता से निवास की व्यवस्था करें।
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किसी भी महिला को जानकारी के अभाव में सहायता से वंचित नहीं रहना चाहिए। ‘सखी वन स्टॉप सेंटर’ की अधिक से अधिक जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाए, इसके निर्देश भी उन्होंने दिए।
कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना अनिवार्य है। यदि कोई संस्था यह समिति गठित नहीं करती है, तो उस पर ₹50 हजार तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इसके लिए जिला श्रम अधिकारी आकस्मिक निरीक्षण करें और यदि कोई खामी पाई जाती है, तो संस्था को सील किया जाए या जुर्माना लगाया जाए। लड़कियों की कम उम्र में शादी कराने के लिए कई बार उनकी जन्मतिथि में बदलाव किया जाता है, ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई की बात भी चाकणकर ने कही।