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नई दिल्ली: गाजा में हमास के खिलाफ लंबी जंग लड़ने के बाद इजरायल ने अचानक ईरान पर बड़ा हमला कर दिया। इस हमले में ईरान के कई सैन्य और परमाणु ठिकानों के साथ-साथ कई शीर्ष सैन्य अधिकारी मारे गए। इस तनाव के कारण पश्चिम एशियाई देशों में तेल आपूर्ति प्रभावित होने की भी आशंका है।
शनिवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 6 डॉलर बढ़कर अब तक के सबसे ऊंचे भाव, 78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। वहीं, इजरायल पर ईरान का जवाबी हमला और चिंता का सबब बन गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव बढ़ने से आने वाले समय में काफी अस्थिरता रहेगी। ऐसे में व्यापार और बाजार प्रभावित होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि तेल निर्यात पर असर पड़ने से तेल और गैस की कीमतों में भी बढ़ोतरी की आशंका है।
मीडिया से बात करते हुए एक विशेषज्ञ ने कहा, सवाल उठता है कि क्या इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से निर्यात प्रभावित होगा। पिछली बार भी जब इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ा था, तब कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि मामला सुलझने के बाद आपूर्ति फिर शुरू हो गई और कीमतें स्थिर हो गईं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ईरान से सीधे तौर पर ज्यादा तेल नहीं खरीदता। फिर भी भारत अपनी तेल जरूरतों का 80 फीसदी आयात करता है। भारत के लिए चिंता का विषय होरमुज़ जलसन्धि है। यह उत्तर में ईरान और दक्षिण में अरब से जुड़ी हुई है। दुनिया का 20 फीसदी एलएनजी व्यापार यहीं से होता है। ऐसे में यह चोक प्वाइंट साबित हो सकता है। अगर इस रास्ते में कोई बाधा आती है तो इराक, सऊदी अरब और यूएई से तेल की आपूर्ति बाधित होगी।
वहीं, ईरान पहले ही इस रास्ते को बंद करने की धमकी दे चुका है। अगर ऐसा होता है तो भारत को आयात में दिक्कतों का सामनाी करना पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल व अन्य ईंधनों की कीमतें बढ़ेंगी। अब तेल और गैस की कीमतों पर दीर्घकालिक असर इस बात पर निर्भर करता है कि ईरान और इजरायल के बीच तनाव लंबे समय तक जारी रहता है या संघर्ष कम होता है।
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वहीं, ओपेक देशों ने पिछले साल जुलाई में घोषणा की थी कि वे तेल की आपूर्ति बढ़ाएंगे। ऐसे में अगर ईरान से आपूर्ति कम भी होती है तो दुनिया पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। अगर भारत की बात करें तो यहां तेल बाजार में ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन अच्छा है। ऐसे में निकट भविष्य में भारत पर इसका बड़ा असर पड़ने की संभावना कम नजर आ रही है।