सूबेदार जोगिंदर सिंह
नवभारत डेस्क: भारत मां के वीर सेनाओं ने हमेशा अपनी जान को हथेली पर रखकर देश की रक्षा की है। सैकड़ो सैनिकों ने अपनी जान गवां कर भारत मां की लाज बचाई है। आज याद करो कुर्बानी के नए अध्याय में हम भारत मां के एक ऐसे ही लाला के बारे में बताएंगे, जिसने अकेले ही चीनी सैनिको के पसीने छुड़ा दिए थे।
भारत का मां ये लाल परमवीर सूबेदार जोगिंदर सिंह ने 1962 की जंग में चीनी सैनिको की अकेले ही हालत गंभीर कर दी थी, 200 चीनी सैनिको पर को अकेले ही काबू पा लिया था। इस बहादूरी के लिए 1962 में परमवीर चक्र के साथ सम्मानित किया गया था।
1962 भारत और चीन के बीच छिड़े युद्ध के बारे में आपने पढ़ा ही होगा। 1948 पाकिस्तान से युद्ध के बाद भारत के सामने इस बार बड़ी चुनौती थी, भारत के पास चीन के मुताबिक बहुत कम सेनाएं थी, लेकिन वो कहते है ना कि अगर आपके हौसले बुलंद हो तो आप किसी भी जंग को जीत जाएंगे। इसी बात को अपने जहन में डालकर भारतीय सैनिक चट्टान से भी भीड़ने के लिए तैयार थे।
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सर पे कफन बांधकर भारत के परमवीर सूबेदार जोगिंदर सिंह और उनके साथियों ने चीनी सेना का सामना किया। सामने अचानक से पहुंची 200 सैनिकों के सामने परमवीर सूबेदार जोगिंदर सिंह की एक छोटी सी टुकड़ी थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होने चीनी सैनिकों पर काबू पाने में सफल हुए थे।
अपने आप को बेबस देख चीनी सेना अपने नापाक इरादे दिखाने लगी, और फिर कई चीनी सैनिक छिप गए। जिसके बाद चीनी सेना ने छिपकर हमला किया, जिसमें जोगिंदर सिंह की जांघ में गोली लग गई। गोली लगने के बाद भी वे चीनी सैनिकों से लड़ते रहे। उन्होंने अपनी जांघ पर पट्टी बांधी और कई चीनी सैनिकों को मार गिराया।
लेकिन घायल भारत मां का लाल एक समय पर जब उस पीड़ा को शह ना सका तो चीनी सैनिक आए और जोगिंदर सिंह को युद्ध बंदी बना लिया गया। उनकी इसी वीरता को याद करते हुए परमवीर जोगिंदर सिंह परमवीर चक्र से सम्मानित किया गाया।
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युद्ध बंदी बनाने के बाद जब चीनी सैनिकों को पता चला कि वीर जोगिंदर सिंह को शहादच के बाद परमवीर चक्र मिला तो चीन भी सम्मान से भर गया। जानकारी के लिए बता दें कि चीन ने 1963 में जोगिंदर सिंह की अस्थियां पूरे सम्मान के साथ उनकी बटालियन को सौंप दीं।