
सांकेतिक तस्वीर (AI जनरेटेड)
नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मंगलवार को एक अच्छी खबर दी है। इस बार मानसून के मौसम में देशभर में सामान्य से ज्यादा यानी अच्छी बारिश होने की संभावना है। यह खबर किसानों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था दोनों के लिए राहत लेकर आई है।
आपको बता दें कि भारत जैसे कृषि आधारित देश में जहां खेती ज्यादातर बारिश पर निर्भर करती है, वहां मानसून का अच्छा होना बेहद जरूरी है। खेती का भारत के GDP में लगभग 18% योगदान है, इसलिए बारिश अच्छी हो तो इसका सीधा फायदा देश की आर्थिक सेहत पर भी पड़ता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने बताया कि इस बार मानसून के दौरान औसतन 105% तक ज्यादा वर्षा हो सकती है, यानी कि करीब 87 सेंटीमीटर बारिश का अनुमान है। यह आंकड़ा पिछले कई वर्षों की औसत बारिश से थोड़ा अधिक है।
IMD के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि इस बार अल नीनो का असर नहीं दिखेगा। अल नीनो वो स्थिति होती है जब समुद्र का तापमान बढ़ने से बारिश कम होती है, लेकिन इस साल ऐसी कोई स्थिति बनने के आसार नहीं हैं। हर साल की तरह इस बार भी मानसून जून के पहले हफ्ते में केरल से दस्तक देगा और फिर धीरे-धीरे पूरे देश में फैल जाएगा। सितंबर के मध्य में मानसून की वापसी शुरू हो जाएगी।
हालांकि अच्छी बारिश की खबर के साथ कुछ चिंताजनक बातें भी सामने आई हैं। मौसम विभाग ने आगाह किया है कि अप्रैल से जून के बीच देश के कई हिस्सों में तेज गर्मी और लू पड़ने की संभावना है। इससे बिजली की मांग बहुत बढ़ सकती है और कुछ इलाकों में सूखा और पानी की कमी जैसी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं।
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भारत में खेती करीब 42% आबादी की रोज़ी-रोटी का साधन है और अधिकांश सिंचाई का ज़रिया भी मानसूनी बारिश ही होती है। ऐसे में अगर बारिश अच्छी होती है, तो फसलें भी अच्छी होंगी और किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौटेगी। अच्छी पैदावार भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी।






