
वैनगंगा नदी में हंगामा (सौजन्य-नवभारत)
Maharashtra Politics: गोसीखुर्द परियोजना की लंबित मांगों को लेकर जिले के परियोजना प्रभावित नागरिकों की ओर से कारधा नदी के तट पर शुक्रवार से शुरू किए गए जल समाधि आंदोलन ने शनिवार रात को गंभीर मोड़ ले लिया था। संभावित बैठक टल जाने के कारण कड़ाके की ठंड में 6 घंटे तक पानी में डटे रहकर परियोजना प्रभावितों ने प्रशासन के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।
इस बीच सांसद डॉ. प्रशांत पडोले ने ढाई घंटे तक पानी में उतरकर आंदोलन में हिस्सा लिया। इसके बाद सांसद पडोले की ठोस मध्यस्थता और जिला प्रशासन से लिखित आश्वासन मिलने के बाद आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया।
परियोजना प्रभावितों ने अपनी मांगों के लिए शुक्रवार को जल समाधि आंदोलन शुरू किया था। शनिवार को राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन के कार्यालय में बैठक आयोजित कर उचित निर्णय लेने का निर्णय हुआ। हालांकि, यह बैठक नहीं हुई। राजस्व मंत्री की ओर से हमेशा की तरह टालमटोल किए जाने की सूचना मिलते ही परियोजना प्रभावित प्रतिनिधियों ने कड़ा रुख अपनाया।
भाऊ कातोरे, प्रमिला शहारे, मनीषा भांडारकर, दिलीप मडामे, अतुल राघोर्ते सहित 11 परियोजना प्रभावित प्रतिनिधि तत्काल विधान भवन से कारधा नदी के तट पर पहुंचे और जल समाधि लेने के लिए रात की कड़ाके की ठंड में छह घंटे तक पानी में डटे रहे, और सरकार के समक्ष अपना तीव्र विरोध व्यक्त किया।
आंदोलन के इस तीव्र रुख और स्थिति की जानकारी मिलते ही सांसद प्रशांत पडोले तत्काल आंदोलन स्थल पर पहुंचे। सांसद ने मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, जल संसाधन मंत्री और कई वरिष्ठ अधिकारियों से फोन पर संपर्क साधा और परियोजना प्रभावितों के साथ पूरे ढाई घंटे तक जलाशय के पानी में डटे रहे। इससे प्रशासन में भारी अफरा-तफरी मच गई।
इसी दौरान, प्रशासनिक अधिकारी आंदोलन स्थल पर मौजूद थे, जब पानी में से एक सांप तेजी से सांसद के पैरों की ओर आया। एक आंदोलनकारी के ध्यान में आते ही, उन्होंने सांप को दूर किया। इस रोमांचक पल के बाद, डॉक्टरों की एक टीम एंटी-स्नेक वैक्सीन के साथ सांसद और आंदोलनकारियों की ओर दौड़ी। इस घटना से कुछ समय के लिए तनाव उत्पन्न हो गया।
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जिलाधिकारी राजेंद्र जाधव ने स्थिति की गंभीरता को पहचानते हुए पालक मंत्री डॉ. पंकज भोयर के माध्यम से मोबाइल पर सांसद से संवाद करवाया। चर्चा सकारात्मक होने के बाद प्रभारी जिलाधिकारी ने स्थिति को संभालते हुए आश्वासन दिया कि संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होते ही अगले सप्ताह सांसद और परियोजना प्रभावित प्रतिनिधियों के समन्वय से बैठक की तारीख तय की जाएगी, और पहले राजस्व मंत्री के साथ बैठक की जाएगी, जिसके आधार पर मुख्यमंत्री स्तर पर बैठक आयोजित कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
आंदोलन का समापन करते हुए परियोजना प्रभावितों ने चेतावनी दी कि अगर लिखित आश्वासन देने के बाद धोखा हुआ, तो भंडारा जिले में किसी भी मंत्री को घूमने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने मजबूत चेतावनी दी कि जरूरत पड़ने पर इससे भी अधिक उग्र जल समाधि आंदोलन हर गांव में किया जाएगा। यह स्पष्ट करते हुए कि आगे की रणनीति सांसद के नेतृत्व में तय की जाएगी, आंदोलन को फिलहाल वापस ले लिया गया।






