
'जी राम जी' बिल पर संसद में संग्राम (फोटो- सोशल मीडिया)
MGNREGA vs G Ram G Bill: संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को भारी हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने मनरेगा की जगह नया ‘जी राम जी’ बिल पेश कर दिया। इस कदम से नाराज विपक्षी सांसदों ने विरोध का एक ऐसा तरीका अपनाया जिसने सभी का ध्यान खींचा। संसद की कार्यवाही के दौरान विरोध जताते हुए कई विपक्षी सांसद पुरानी संसद के पोर्च पर चढ़ गए और ‘महात्मा गांधी अमर रहें’ के नारे लगाने लगे। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जैसे ही यह विधेयक रखा, सदन के भीतर और बाहर सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
इस नए ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन’ यानी वीबी-जी राम जी विधेयक में सरकार ने रोजगार के दिन 100 से बढ़ाकर 125 करने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए 1.51 लाख करोड़ रुपये का बजट भी तय किया गया है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि नाम बदलने के पीछे सरकार की नीयत ठीक नहीं है। कांग्रेस ने दावा किया कि यह बिल ग्राम पंचायतों के अधिकार छीनकर सब कुछ केंद्र के हाथ में दे देगा, जिससे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ना तय है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस बिल को सरकार की ‘सनक’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा पिछले बीस सालों से ग्रामीण भारत की रीढ़ रहा है, लेकिन अब सरकार राज्यों का फंड घटाकर 60 फीसदी कर रही है, जो गरीब राज्यों के लिए संकट पैदा करेगा। वहीं, वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना कतई सही नहीं है। उन्होंने बिल के नाम में हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों के मिश्रण पर सवाल उठाए और कहा कि बापू खुद राम राज्य की बात करते थे, इसलिए राम के नाम का इस्तेमाल इस तरह नहीं होना चाहिए। थरूर ने इसे संविधान की भावनाओं के विपरीत बताया।
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दूसरी ओर, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं और यह बिल गांवों के संपूर्ण विकास के लिए लाया गया है। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए पूछा कि जब उन्होंने जवाहर रोजगार योजना का नाम बदला था, तब क्या वह अपमान नहीं था? उधर, कुमारी शैलजा, संजना जाटव और ज्योत्स्ना महंत जैसे सांसदों ने पुरानी संसद के गेट नंबर एक की छत पर चढ़कर प्रदर्शन किया। ज्योत्स्ना महंत ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि सदन में आज विचारों की हत्या हुई है, इसलिए जनता का ध्यान खींचने के लिए उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा।






