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10 major political events of 2025: साल 2025 रुखसत होने को है। अगर यह कोई मनुष्य या जीव होता तो हम यह कहते कि ‘2025’ अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है। हर एक साल हमें कई खट्टी-मीठी यादें देकर जाता है। यही वजह है कि बीता हुआ साल भी अतीत के पृष्ठों पर सदैव अंकित रहता है। राजनैतिक लिहाज से साल 2025 बेहद दिलचस्प रहा। तमाम ऐसी सियासी घटनाएं घटीं जो चर्चा का विषय बनीं। तो चलिए जानते हैं वो 10 वजहें जिनकी साल 2025 में राजनैतिक इदारों में सबसे ज्यादा चर्चा रही…
2025 में दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला जब बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। लंबे समय से सत्ता से बाहर रहने के बाद पार्टी ने संगठन, रणनीति और जमीनी मुद्दों पर काम करते हुए जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाई। नतीजा यह हुआ कि पार्टी संस्थापक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल तक चुनाव हार गए। भाजपा ने 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि आप 22 पर सिमट गई। कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुला। जिसके बाद रेखा गुप्ता को सीएम बनाते हुए दिल्ली की बागडोर सौंप दी गई।
2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर पूरे देश में विशेष कार्यक्रम, सम्मेलन और यात्राएं आयोजित की गईं। संघ ने राष्ट्रवाद, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पहचान पर केंद्रित अपनी विचारधारा को फिर से रेखांकित किया। राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव के कारण यह वर्ष राष्ट्रीय बहस का केंद्र रहा। संघ ने भविष्य की रणनीति पर भी मंथन किया और समाज सेवा को प्रमुख लक्ष्य के रूप में आगे रखा। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा कि अगला लक्ष्य भारत को विश्व गुरु बनाना है।
2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 75 वर्ष पूरे किए। इस मौके पर देशभर में पार्टी और समर्थकों ने विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। विरोधियों और समर्थकों दोनों ने इस अवसर का उपयोग करते हुए उनके कार्यकाल का मूल्यांकन किया गया। कई जगह प्रदर्शनियां आयोजित हुईं साथ ही इस मौके पर डॉक्यूमेंट्री भी रिलीज की गई। दूसरी तरफ उनके सक्रिय राजनीति से हटने और पीएम की कुर्सी छोड़ने जैसी चर्चाएं भी खूब हुईं। लेकिन पार्टी ने इस पर रुख साफ करते हुए कहा कि वह पीएम बने रहेंगे। साथ ही 2029 का लोकसभा चुनाव भी पीएम मोदी की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा।
पीएम नरेंद्र मोदी (सोर्स- सोशल मीडिया)
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया। एनडीए ने 202 सीटों पर कब्जा जमाते हुए प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाई। नीतीश कुमार की 10वीं बार बिहार के सीएम के तौर पर ताजपोशी हुई। दूसरी तरफ विपक्ष कमजोर और बिखरा हुआ दिखा। जिसका असर यह हुआ कि उसे केवल 35 सीटों पर जीत हासिल हुई। पिछले चुनाव में 75 सीटें जीतने वाली आरजेडी 25 पर सिमट गई, तो वहीं 2020 में 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 6 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी।
चुनाव रणनीतिकार के रूप में मशहूर प्रशांत किशोर ने 2025 में औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया। वर्षों तक राजनीतिक दलों को चुनावी जीत दिलाने के बाद उन्होंने खुद चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। उनके राजनीति में आने से कई दलों और नेताओं के बीच चिंता बढ़ी। प्रशांत ने सिस्टम में बदलाव, युवाओं की भागीदारी और राजनीति में पारदर्शिता को अपना मुख्य एजेंडा बताया। उनके कदम ने राष्ट्रीय राजनीति में एक नए समीकरण की शुरुआत की। उनकी पार्टी ने बिहार में 239 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन बुरी हार मिली। 2 सीटों के अलावा अन्य किसी पर पार्टी उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा सके।
2025 में केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए कई प्रमुख बदलाव लागू किए। सरकार ने दावा किया कि इससे वक्फ संपत्तियों का पारदर्शी उपयोग, डिजिटाइजेशन और प्रशासनिक सुधार सुनिश्चित होंगे। हालांकि विपक्ष और कुछ धार्मिक संगठनों ने इसे अधिकारों में दखल बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया। यह कानून सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक स्तर पर बड़ी बहस का कारण बना और न्यायालयों में कई याचिकाएं भी दायर की गईं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
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2025 में केंद्र सरकार ने संसद में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है। सरकार ने इसे समय, धन और प्रशासनिक संसाधन बचाने की दिशा में बड़ा कदम बताया। विपक्षी दलों ने संघीय ढांचे, क्षेत्रीय राजनीति और लोकतांत्रिक संतुलन पर सवाल उठाए। इसके बावजूद यह विषय देशभर में गहन बहस और चर्चा का कारण बना। लोकसभा में लंबी बहस के बाद इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया है। यह विधेयक भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है।
2025 में चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंशिव रिवीजन (SIR) अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और फर्जी वोटों को हटाना था। बिहार में चुनाव से पहले SIR हुआ जिसमें तकरीबन 65 लाख नाम बाहर कर दिए गए। अब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत अन्य 12 राज्यों में भी SIR चल रहा है। दूसरी तरफ विपक्षी दल इस पर लगातार सवालिया निशान लगा रहे हैं और चुनाव आयोग व केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसे लेक संसद के शीतकालीन सत्र में भी सत्ता-विपक्ष के बीच लंबी बहस हुई है।
सांकेतिक तस्वीर-SIR (सोर्स- सोशल मीडिया)
2025 में भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राजनीतिक रूप से बेहद चर्चित रहा। मोदी-शाह के युग के बाद नेतृत्व का नया समीकरण बनने लगा। कई नाम दावेदारी में बने रहे, चर्चाएं चलती रहीं पर नए अध्यक्ष का चुनाव अभी तक अधर में लटका हुआ है। एक चर्चा है कि 15 दिसंबर को लग रहे खरमास से पहले भाजपा नए अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है। दूसरी चर्चा यह है कि अब शायद ही इस साल यानी 2025 में भारतीय जनता पार्टी को नया अध्यक्ष मिल पाए।
देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने चुनाव आयोग और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर साठ-गांठ का आरोप लगाया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से कांग्रेस सांसद ने एक के बाद एक 3 प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रजेंटेशन के साथ चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी पर मिलकर ‘वोट चोरी’ करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने दावा किया कि कर्नाटक और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनावों में ‘वोट चोरी’ की गई। इसके लिए उन्होंने एक पते पर कई मतदाता, मतदाता सूची से नाम हटाने और बोगस वोटिंग जैसे उदाहरण भी दिए। जबकि चुनाव आयोग ने इस पर जवाब देते हुए उनके दावों के बेबुनियाद बताया।






