बुजुगों की आयु बढ़ानी है तो समय से नाश्ता कराएं (सौ. सोशल मीडिया)
Health News: बच्चे से लेकर बुजुर्गों को अपनी सेहत का सही तरीके से ख्याल रखना जरूरी होता है लेकिन बदलती लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। सेहत को अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते है। बच्चे को जिस तरह से संपूर्ण पोषण आहार और सेहत का ख्याल रखने की आवश्यकता होती है उस तरह ही बुजुर्गों का भी उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा ख्याल रखना जरूरी होता है। स्टडी में खुलासा हुआ है कि, भोजन की बदलती आदतें बुजुर्गों की दिमागी और शारीरिक सेहत से जुड़ी होती हैं। अगर समय पर बुजर्गों को नाश्ता नहीं मिलता है तो, अवसाद या कमजोरी का कारण बनता है। कई बार यह स्थिति गंभीर बीमारियों का रूप भी ले लेती है।
यहां पर स्टडी के अनुसार, ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने करीब तीन हजार से अधिक बुजुर्गों पर इस विषय को लेकर स्टडी की गई। इस स्टडी में 60 से 70 वर्ष की आयु वाले बुजुर्गों को शोध में शामिल करके उनके भोजन और नींद की आदतों के बारे में पूछताछ की गई। इस स्टडी का उद्देश्य रहा है कि, उनके जागने और नाश्ता करने के बीच, रात के भोजन और सोने के समय के बीच तथा नाश्ते और रात के भोजन के बीच के समय की गणना कर सकें। पाया कि औसतन प्रतिभागियों ने उठने के आधे घंटे बाद नाश्ता किया और सोने से पांच घंटे पहले रात का भोजन किया। यानी उन्होंने आमतौर पर नाश्ता सुबह 8:22 बजे किया, जबकि दोपहर का भोजन 12:38 बजे और रात का भोजन शाम 5:51 बजे होता था। इस बारे में शोधकर्ता डॉ. नाहिद अली ने बताया कि आमतौर पर नाश्ता सोकर उठने के एक घंटे के अंदर लगभग सुबह 7 बजे और रात का भोजन सोने से कम से कम दो से तीन घंटे पहले लगभग शाम 7 बजे कर लेना चाहिए।
यहां पर स्टडी के अनुसार, प्रतिभागियों पर करीब दो साल तक नमूने पर नजर रखी गई। इसके निष्कर्ष में पाया गया कि, उम्र बढ़ने के साथ हर अतिरिक्त महीने और साल में नाश्ते और रात के खाने में कम से कम कुछ मिनट की देरी होती गई। लोगों की जिस तरह से उम्र बढ़ती गई है वैसे ही वह लोग नाश्ता और खाना देर से खाने लगे है। वहीं जिन लोगों को ज्यादा स्वास्थ्य समस्याएं थीं या देर तक जागने की प्रवृत्ति थी, वे भी देर से भोजन करने लगे। लगातार देर से नाश्ता या भोजन करने से 24 घंटे की जैविक घड़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
इसके अलावा यह भी पता किया गया कि, देर से भोजन करने वाले समूह की 10 वर्ष की जीवित रहने की दर 86.7 फीसद ज्यादा होती है। इसके अलावा जल्दी भोजन करने वाले समूह के लिए 89.5 फीसद तक जीवित रहने की दर रही है। जिन लोगों को नीद लेने और खाना बनाने में दिक्कत होती है, वे अक्सर देर से खाना खाने वाले समूह में शामिल होते हैं।
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रिसर्चर के अनुसार लोगों को सचेत करने के लिए चेतावनी जारी की गई है। अगर मरीज औऱ डॉक्टर भोजन के समय में बदलाव करते है तो, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है। अगर आप बुजुर्गों को समय पर भोजन या नाश्ता कराते है तो, यह आदत उम्र को ज्यादा बढ़ने नहीं देती है और उनकी सेहत सही रहती है। इसलिए बुजुर्गों की सेहत का इस तरह से ही ख्याल रखें।