माइक्रोप्लास्टिक का खतरा (सौ.सोशल मीडिया)
Microplastics Effects o Health: पर्यावरण में जीव-जन्तु और जल के अलावा भी कई चीजें मौजूद होती है जिसका हमारे जीवन पर किसी न किसी रूप में असर पड़ता है। आस-पास के वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक भी होते है छोटे और नैनो कण के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते है। हेल्थ एक्सपर्ट हमेशा कहते है कि, खानपान और पानी हमेशा शुद्ध रूप में लेना चाहिए।
हाल ही में एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि, माइक्रोप्लास्टिक हमारे लिए अल्जाइमर जैसी बीमारी का खतरा बढ़ा देते है। चलिए जानते है स्पष्ट रूप से इसके बारे में।
यहां पर रोड आइलैंड विश्वविद्यालय के फार्मेसी कॉलेज द्वारा रिसर्च की गई थी जिसकी स्टडी में पता चला है कि, ये छोटा सा प्लास्टिक दिमाग सहित शरीर की सभी एक्टिव प्रणालियों में प्रवेश करते है। इतना ही नहीं इस तरह से दिमाग पर असर करने के दौरान कार्य पर असर डालते है। यह दिमाग की अल्जाइमर जैसी बीमारी का भी कारण बनते है। यहां नई स्टडी के दौरान पता लगाया गया कि, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीन एपीओई4 (अल्जाइमर का एक मजबूत संकेतक है) को शामिल करने के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया था, जिससे लोगों में इस रोग की आशंका उन लोगों की तुलना में 3.5 गुना अधिक होती है, जिनमें माता-पिता से संतानों में स्थानांतरित होने वाले जीन का एपीओई3 प्रकार होता है।
ये भी पढ़ें- PM Modi @75: क्या है PM मोदी के फिटनेस का राज, सुबह से रात तक फिट रहने के लिए अपनाते हैं ये रूटीन
यहां पर स्टडी को लेकर विश्वविद्यालय के फार्मेसी सहायक प्रोफेसर जैमे रॉस ने कहा, “इंसानों की तरह, इस बात की कोई गारंटी नहीं कि इन चूहों की सोचने-समझने की शक्ति में कोई बदलाव देखने को मिलेगा। आपके जुड़वां बच्चे भी अलग-अलग तरीके से रिएक्ट कर सकते हैं, जैसे दोनों में एपीओई4 हो, एक कॉग्नेटिव्ली हेल्दी होगा यानी उसके सोचने-समझने और सीखने की क्षमता अच्छी हो सकती है, तो दूसरे को अल्जाइमर रोग हो सकता है।”यहां पर इस बदलाव के बाद यह पता चलता है कि, हमारी जीवनशैली में बदलाव और पर्यावरण में गड़बड़ी के काऱण अल्जाइमर जैसी बीमारी का खतरा बढ़ता है। आपके शरीर में माइक्रोप्लास्टिक प्रचुर मात्रा में है, तो क्या यह अल्जाइमर को बढ़ावा देगा। इस सवाल का जवाब उचित देखभाल से है।