माइक्रोप्लास्टिक से सेहत को होते है नुकसान (सौ. डिजाइन फोटो)
अच्छी सेहत के लिए हम खानपान पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए पौष्टिक आहार वाली थाली का सेवन करते है लेकिन कई लोग वहीं अनहेल्दी लाइफस्टाइल अपनाते है जो सेहत के लिए सही नहीं होता है। हाल ही में ताजा स्टडी से यह खुलासा हुआ है कि, हम खाने के साथ सूक्ष्म प्लास्टिक कण (माइक्रोप्लास्टिक) को भी ले रहे हैं जो हमारे शरीर के लिए नुकसान पहुंचाने का काम करती है। पता चला हैं कि, शरीर के ग्लूकोज को प्रोसेस करने की प्रक्रिया (ग्लूकोज मेटाबॉलिज़्म) को प्रभावित कर सकते हैं. इससे लिवर (यकृत) जैसे अंगों को नुकसान हो सकता है। चलिए जान लेते हैं इसकी खास स्टडी के बारे में…
बताया जा रहा है कि, यह स्टडी दरअसल अमेरिका के डेविस शहर में स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की पीएचडी छात्रा एमी पार्कहर्स्ट ने की है। जहां पर उन्हें रिसर्च के दौरान इस बात की जानकारी हुई है कि, पॉलीस्टाइरीन नैनोप्लास्टिक के शरीर में जाने से ग्लूकोज से जुड़ी गड़बड़ी और लिवर (यकृत) को नुकसान होता है। हाल ही में किए गए पशु रिसर्च के नतीजों की पुष्टि करता है और उन्हें और आगे बढ़ाता है।” इस स्टडी के निष्कर्ष का पता लगाने के लिए रिसर्चर ने चूहों पर स्टडी की है। जहां पर रिसर्च के दौरान संभावना को देखते हुए चूहों को उनके शरीर के वजन के हिसाब से रोजाना 60 मिलीग्राम नैनोप्लास्टिक की खुराक दी गई जहां पर पहली बार की गई रिसर्च में यही मात्रा रखी गई थी।
रिसर्चर पार्कहर्स्ट ने बताया कि, हम चूहों के संपर्क में आने वाले हर तरह के प्लास्टिक को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकते. लेकिन हमारे रिसर्च की योजना ऐसी थी कि हम यह देख सके कि नैनोप्लास्टिक की खुराक बढ़ने पर शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं इसके बारे में जान सकें।
यहां पर , स्टडी के दौरान पता चला है कि, जिन चूहों ने पॉलीस्टाइरीन का सेवन नहीं किया था उनकी तुलना में नैनोप्लास्टिक खाने वाले चूहों के शरीर में ग्लूकोज को कंट्रोल करने में समस्या देखने के लिए मिलती है। इसके अलावा इन चूहों में एलानिन एमिनोट्रांस्फरेज नामक एंजाइम का बढ़ा हुआ स्तर पाया गया, जो लिवर (यकृत) को नुकसान होने का संकेत है। साथ ही रिसर्च में पता चला है कि, चूहों में रिसर्चर ने देखा कि उनकी आंत में लीकेज की समस्या पाई गई जिससे खून में शरीर में एंडोटोक्सीन नामक हानिकारक पदार्थ की मात्रा बढ़ गई। यह मात्रा लिवर को पूरी तरह से खराब करते है।
बरहाल इसे पुख्ता तौर पर लाने के लिए माइक्रो और नैनोप्लास्टिक्स से जुड़ी नीतियां बनाने में मदद के लिए और ज्यादा शोध की जरूरत की ओर इशारा करने का काम करते है।