हरियाणा की बाढ़ में डूबी कारें, राहत बचाव करते सेना के जवान
Haryana Flood: उत्तर भारत आसमानी आफत से जूझ रहा है। कई राज्य बाढ़ का प्रकोप झेल रहे हैं, हरियाणा भी है। इस बाढ़ के बीच हिसार जिले में घग्गर के ड्रेन ने विकराल रूप धारण कर लिया। सुबह 4 बजे गुड़िया खेड़ा के पास मोडिया खेड़ा गांव में ड्रेन का तटबंध टूट गया। कुछ ही घंटो में यह दरार 80 फीट तक फैल गई। जिससे तेजी से पानी खेतों में फैल गया। इलाके में करीब 1500 एकड़ फसल डूब गई और ढाणियों में 7 फिट पानी भर गया।
वहीं दूसरी तरफ रोहतक जिले के बहादुरगढ़ में भी ड्रेन टूटने से हालत गंभीर बने हुए हैं। एक तरफ यमुना के बढ़े जलस्तर और भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है। दूसरे तरफ जगह-जगह टूटते ड्रेन से हालात बद से बदतर हो गए हैं। इस बाढ़ में राज्य सरकार की राहत बचाव की टीमें व SDRF नाकाफी साबित हो रही हैं। इसके बाद स्थिति पर काबू पाने के लिए सेना को उतारना पड़ा। आर्मी के डोट डिवीजन हिसार से आए 80 ज्यादा जवान SDRF के साथ मिलकर मोर्चा संभाले हुए हैं।
ड्रेन टूटने से शहर के विवेकानंदर नगर और छोटूराम नगर पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं। घरों से 4-5 फिट तक पानी भरा है, जिससे लोगों का जन जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं बहादुरगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया में भी पानी भर गया है। मारुति कंपनी की सैकड़ों गाड़ियां लगभग पूरी तरह डूब चुकी हैं। इससे कंपनी को करोड़ों के नुकसान की आशंका है।
सेना और SDRF की टीम 12 नावों के साथ मौके पर राहत-बचाव के काम में जुटी हुई है। उनका मुख्य ध्यान मंगेशपुर ड्रेन कटाव को रोकने पर और तंटबंध को मजबूत करने पर है। तेज बहाव को के कारण पानी बंद करने और तटबंध को सही करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके बावाजूद भी तटबंध से आ रहे पानी को रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है। सेना ने लोहे के जालीनुमा बड़े बॉक्स तैयार कर कटाव के पास लगाए हैं, जिनमें प्लास्टिक बैग्स में मिट्टी भरकर डाली जा रही है ताकि पानी के बहाव को रोका जा सके।
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सिंचाई विभाग और नगर परिषद के 100 से ज्यादा कर्मचारी मौके पर मदद के लिए मौजूद हैं, जो तटबंध को सही करने का प्रयास कर रहे हैं। वहां मेडिकल कैंप भी लगाया है। सिंचाई विभाग की ओर से चाय बिस्कुट, फल और सूखे राशन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंगेशपुर ड्रेन टूटने से जीवन थम गया है। छोटे दुकानदार से लेकर फैक्ट्री मालिक तक परेशान हैं। क्योंकि दो पहिया व चार पहिया के वाह पानी में पूरी तरह से डूब चुके हैं।