सिंगल-स्क्रीन थिएटर
Mumbai News: महाराष्ट्र के मुंबई में जहां कभी सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघरों की चमक-दमक हुआ करती थी, वहीं अब ये थिएटर धीरे-धीरे अतीत का हिस्सा बनते जा रहे हैं। सौ साल से अधिक पुरानी यह परंपरा अब बदलाव के दौर से गुजर रही है। शहर के कई बंद हो चुके थिएटरों के मालिक अपनी संपत्तियों को नए सिरे से विकसित करने के लिए अनुमति मांग रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीएमसी के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में करीब दो दर्जन सिंगल-स्क्रीन थिएटर मालिकों ने पुनर्विकास के प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। इनमें से अधिकांश थिएटरों को व्यावसायिक टावरों में बदलने की योजना है, जबकि कुछ प्रस्तावों में आवासीय इमारतों का निर्माण भी शामिल है।
हालांकि, राज्य सरकार के नियम थिएटर मालिकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। बता दें कि नियमों के अनुसार, हर पुनर्विकास परियोजना में एक छोटे थिएटर का समावेश करना अनिवार्य है। यह शर्त थिएटर मालिकों के लिए समस्या का कारण बन रही है, क्योंकि दर्शकों की संख्या लगातार घट रही है और थिएटर चलाना अब आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं रह गया है।
जानकारी के अनुसार, थिएटर मालिकों ने दर्शकों की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए कहा है कि यह आवश्यकता एक बड़ी रुकावट बन चुकी है। मुंबई की नवीनतम विकास योजना के नियम 17(2) के अनुसार, पुनर्विकास के इच्छुक मालिकों को मौजूदा थिएटर में अंतिम लाइसेंस प्राप्त सीटों की संख्या के आधार पर बैठने की क्षमता का 33% प्रदान करना होगा, जिसमें न्यूनतम 150 सीटें या राज्य द्वारा निर्धारित सीटें शामिल होंगी।
उदाहरण के तौर पर 600 सीटों वाले थिएटर में पुनर्विकसित संपत्ति में कम से कम 200 सीटें होनी चाहिए। दक्षिण मुंबई के ग्रांट रोड पर स्थित, 625 सीटों वाला प्रतिष्ठित ड्रीमलैंड थिएटर इस दशक की शुरुआत में हमेशा के लिए बंद हो गया।
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बता दें कि मालिक, मेसर्स सिने प्रॉपर्टीज़ एंड फ़ाइनेंस द्वारा प्रस्तुत पुनर्विकास योजनाओं के अनुसार, एक उच्च-स्तरीय आवासीय और व्यावसायिक टावर निर्माणाधीन है। पहले कृष्णा टॉकीज़ के नाम से प्रसिद्ध, इस थिएटर का संचालन 1919 में मूक फ़िल्मों के दौर में शुरू हुआ था।