हेमा मालिनी ने याद किया ‘शोले’ का सफर
Hema Malini on Sholay: हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्म ‘शोले’ को रिलीज हुए 50 साल पूरे हो चुके हैं। 1975 में जब यह फिल्म बड़े पर्दे पर आई थी, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी फिल्मों में शुमार हो जाएगी। फिल्म की हर चीज चाहे वह जय-वीरू की दोस्ती हो, गब्बर का खौफ हो या फिर बसंती की मस्तमौला बातें आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं। इस खास मौके पर ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने अपने ‘बसंती’ किरदार और शूटिंग से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें साझा कीं।
हेमा मालिनी ने बताया कि जब निर्देशक रमेश सिप्पी ने उन्हें फिल्म का ऑफर दिया, तो शुरुआत में उन्हें ‘बसंती’ का रोल उतना खास नहीं लगा। उन्होंने कहा कि मैंने सोचा था कि यह रोल ‘सीता और गीता’ जितना दमदार नहीं होगा। रमेश जी ने कहा था कि फिल्म में कई किरदार हैं और तुम उनमें से एक हो। तब मुझे लगा कि यह छोटा रोल है, लेकिन उन्होंने मुझे समझाया कि भले ही स्क्रीन टाइम कम हो, लेकिन यह किरदार फिल्म की आत्मा होगा और सच में, दर्शकों ने बसंती को कभी भुलाया नहीं।
हेमा मालिनी ने आगे कहा कि उस दौर में उनके लिए अक्सर खास एक्शन सीन्स बनाए जाते थे। डायरेक्टर कहते थे, हेमा है तो एक्शन तो होना ही चाहिए। ‘शोले’ में मेरा सबसे यादगार सीन तांगे वाला था, जब बसंती डाकुओं से पीछा छुड़ा रही होती है। पूरी यूनिट उस दिन बेहद मेहनत कर रही थी और वह नजारा आज भी मेरी आंखों के सामने है।
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हेमा मालिनी ने यह भी साझा किया कि उनकी नई पीढ़ी ने शायद अभी तक ‘शोले’ नहीं देखी है। उन्होंने कहा कि अब जब फिल्म को 50 साल हो चुके हैं, तो मैं जरूर अपने बच्चों और परिवार को यह फिल्म दिखाऊंगी। एक दिन मैं सबको अपने घर के मिनी थिएटर में बैठाकर ‘शोले’ देखने का प्लान बना रही हूं। ‘शोले’ न केवल बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही, बल्कि इसने भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी। गब्बर के डायलॉग्स, जय-वीरू की दोस्ती और बसंती की बकबक आज भी पॉप कल्चर का हिस्सा हैं। और इसमें कोई शक नहीं कि हेमा मालिनी की ‘बसंती’ ने फिल्म को यादगार बनाने में अहम भूमिका निभाई।