पंकज धीर के निधन से आहत हुईं हेमा मालिनी, दिवंगत दोस्त को याद कर बोलीं- "हमेशा मेरे साथ रहे, उनकी कमी खलेगी"
Hema Malini On Death Of Pankaj Dheer: बॉलीवुड की ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी आज अपना 77वां जन्मदिन मना रही हैं। इस खुशी के मौके पर सोशल मीडिया पर उन्हें चारों ओर से बधाई संदेश मिल रहे हैं। हालांकि, हेमा मालिनी के लिए यह जन्मदिन खुशियों से ज्यादा गम लेकर आया है। उन्होंने अपने इस खास दिन पर अपने करीबी दोस्त और दिग्गज अभिनेता पंकज धीर को याद किया है, जिनका बुधवार को कैंसर के कारण निधन हो गया। पंकज धीर के निधन से आहत हेमा ने सोशल मीडिया पर अपने गहरे दुख को व्यक्त किया है।
हेमा मालिनी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पंकज धीर के साथ दो पुरानी तस्वीरें साझा कीं। अभिनेता के निधन से बेहद परेशान हेमा ने एक भावुक पोस्ट में लिखा, “कल मैंने एक बहुत ही प्यारे दोस्त पंकज धीर को खो दिया और मैं पूरी तरह से टूट गई हूँ। मेरे लिए, वह हमेशा बहुत सहायक रहे, जो भी मैंने किया, उन्होंने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया और जब भी मुझे उनकी ज़रूरत पड़ी, हमेशा मेरे साथ रहे।” उन्होंने कहा कि वह अपने जीवन में उनके सपोर्ट और उनकी कमी को हमेशा महसूस करेंगी। हेमा मालिनी ने पंकज धीर की पत्नी अनीता के प्रति भी अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
पंकज धीर का बुधवार, 15 अक्टूबर 2025 को 68 वर्ष की आयु में कैंसर से जूझते हुए निधन हो गया। वह लंबे समय से इस खतरनाक बीमारी से लड़ रहे थे। ‘महाभारत’ में कर्ण की भूमिका निभाकर उन्हें घर-घर में पहचान मिली थी। उन्होंने इस पौराणिक किरदार को इतनी जीवंतता दी कि दर्शक उन्हें आज भी कर्ण के रूप में याद करते हैं। इस रोल के लिए उन्होंने अपनी हिंदी सुधारने और किरदार की गहराई को समझने के लिए कड़ी मेहनत की थी।
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बुधवार को मुंबई में पंकज धीर के बेटे निकितिन धीर ने उनका अंतिम संस्कार किया। इस अंतिम विदाई में बॉलीवुड के कई बड़े सितारों ने हिस्सा लिया। शोक व्यक्त करने पहुंचे दिग्गजों में सलमान खान, शक्ति कपूर, अरबाज खान और सिद्धार्थ कपूर जैसे नाम शामिल थे। सभी ने नम आँखों से इस महान अभिनेता को विदाई दी, जिससे साबित होता है कि उनका इंडस्ट्री में कितना सम्मान था।
दिलचस्प बात यह है कि पंकज धीर को ‘महाभारत’ में पहले अर्जुन के रोल के लिए चुना गया था। हालांकि, उनकी कद-काठी और मुखरता को देखते हुए, निर्माताओं को लगा कि वह कर्ण के किरदार के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं। यह फैसला ऐतिहासिक साबित हुआ और पंकज धीर हमेशा के लिए ‘दानवीर कर्ण’ के रूप में अमर हो गए।