मीरा-भायंदर विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
थाणे: महाराष्ट्र में सियासी जंग की रणभेरी बस कुछ ही दिनों में बजने ही वाली है। उससे पहले राजनीतिक दल और राजनेता रणनीति तैयार करने में पूरी शिद्दत के साथ जुट गए हैं। दूसरी तरफ सियासी पंडित भी जनता की नब्ज पहचानने में लगे हुए हैं। ऐसे में हम भी चाहते हैं कि आप तक हर सीट का सही और सटीक विश्लेषण पहुंचाया जाए। जिससे चाय की चौपाल पर चर्चा के दौरान आपको हर सीट के आंकड़े और कहां किसका दबदबा रहा है या फिर रहने वाला यह पता रहे।
सीट वाइज विश्लेषण के सेगमेंट में आज बात मीरा-भयंदर विधानसभा सीट की। मीरा-भयंदर विधानसभा सीट ने अब तक कुल तीन विधानसभा चुनाव देखे हैं। इसमें सबसे खास बात यह है कि कोई भी यहां पर रिपीट विक्ट्री नहीं दर्ज कर सका है। इस लिहाज से देखा जाए तो यहां 2024 का चुनाव भी काफी दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि यहां कि जनता इस बार किस नए चेहरे को चुनकर विधानसभा भेजेगी यह देखना अहम होगा।
2009 चुनाव के पहले परिसीमन में जन्मी थाणे जनपद और लोकसभा क्षेत्र की इस सीट पर पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में एनसीपी के उम्मीदवार गिल्बर्ट मेंडोंका ने बाजी मारी। इसके बाद 2014 यहां 2009 के रनर-अप बीजेपी प्रत्याशी नरेन्द्र मेहता ने उन्हें मात देते हुए विजयश्री हासिल कर ली। वहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में यहां निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरी गीता भारत जैन ने नरेन्द्र मेहता को शिकस्त दे दी।
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मीरा भयंदर विधानसभा सीट पर 2019 के चुनावी आंकड़ों के मुताबिक कुल 4 लाख 26 हजार 728 वोटर्स हैं। जिसमें करीब 73 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। किसी भई प्रत्याशी की हार जीत में सबसे अहम भूमिका यहां मुस्लिम वोटर्स की ही रहती है। इसके अलावा यहां करीब 15 हजार दलित तो 7 हजार के आस पास आदिवासी वोटर्स भी हैं। यह एक ऐसी सीट है जहां 100 प्रतिशत शहरी मतदाता हैं। ऐसी स्थिति में शहर से जुड़े चुनावी मुद्दे यहां हांवी रहते हैं।
मीरा भयंदर विधानसभा सीट के लिए कोई भी पूर्वानुमान लगाना आपको सरासर झूठ कहने से ज्यादा कुछ नहीं होगा। क्योंकि यहां की खासियत ही यह रही है कि हर बार जनता ने एक नए प्रत्याशी को जनादेश दिया है। जिसमें एक बार एनसीपी, एक बार बीजेपी तो वहीं एक बार निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है। इस लिहाज से देखा जाए तो यहां 2024 का चुनाव भी काफी दिलचस्प होने वाला है।