आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, राजनीति में कितनी ही चालबाजी या बेईमानी क्यों न हो, नेता चुनाव आयोग से 24 कैरेट शुद्धता वाली ईमानदारी व प्रामाणिकता की उम्मीद करते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में महाधांधली होने का आरोप लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लगाया था और चुनाव आयोग से कैफियत मांगी थी कि इतने वोटर कैसे बढ़ गए? मतदान का समय शाम 5 बजे समाप्त होने के बाद देर रात तक कैसे वोट डाले गए। लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में इतने ज्यादा मतदाता कहां से उमड़ पड़े? सत्तापक्ष ने राहुल के इस रवैये को संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग का अपमान बताया था।
केंद्र सरकार व सत्ता पक्ष के नेता नहीं चाहते कि कोई चुनाव आयोग पर अविश्वास करे।’ हमने कहा, ‘अब तो एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी कहा कि चुनाव आयोग की ईमानदारी या विश्वसनीयता को लेकर लोगों के दिमाग में संशय पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी का शानदार प्रदर्शन रहा लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे निराशाजनक रहे। हमें अभी तक अपनी हार की वजह समझ में नहीं आ रही है।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, कहावत है कि शक की दवा तो नामी यूनानी हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी। चुनाव हारनेवाले हमेशा शंका करते हैं कि चुनाव में गोलमाल हुआ है। तुरंत बोगस वोटिंग का शक जाहिर कर देते हैं।
महाराष्ट्र के दिग्गज अनुभवी नेता शरद पवार के कथन में कुछ तो दम होगा।’ हमने कहा, ‘चुनाव आयोग पर जनता का जैसा विश्वास टीएन शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त रहते समय था, वैसा अब नहीं रह गया। प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता का 3 सदस्यीय पैनल चुनाव आयुक्त का चयन करता है। इसलिए विपक्ष का नेता अकेला पड़ जाता है और 2/1 की मेजारिटी से सरकार चुनाव आयुक्त का चयन कर लेती है। यदि इस पैनल में प्रधानमंत्री, विपक्ष का नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का समावेश हो तो चुनाव आयोग पर शक की सुई नहीं उठेगी। उसे कोई विपक्षी नेता सरकार की कठपुतली नहीं कहेगा।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा