बालापुर विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
अकाेला: महाराष्ट्र में चुनावी रणभूमि सज चुकी है। निर्वाचन आयोग ने भीष्म पितामह की तरह चुनाव के लिए शंखनाद कर दिया है। सभी दल 288 मोर्चों पर लड़े जाने वाले इस सियासी युद्ध में जीत दर्ज करने की जद्दोजेहद में जुट गए हैं। किस मोर्चे पर कौन सा सेनापति विरोधी दल से लोहा लेगा उसको लेकर मंथन चल रहा है। महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच लड़े जाने वाले इस चुनावी महाभारत के लिए महाराष्ट्र की जनता भी पूरी तरह तैयार है।
महाराष्ट्र की सियासत में पिछले पांच साल में जो कुछ भी घटित हुआ है उससे इस बात का अंदाजा लगाना बेहद ही मुश्किल है कि इस बार यहां ऊंट किस करवट बैठेगा। यही वजह है कि हम सीट वाइज एनालिसिस करके यह पता लगाने के प्रयास में हैं कि इस बार यहां किसका पलड़ा भारी रहने वाला है। ऐसे में हम एक-एक सीट का भूत, वर्तमान देखकर भविष्य जानने और आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इस कड़ी में आज बालापुर विधानसभा सीट का नंबर है।
बालापुर विधानसभा सीट पर साल 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार श्रीराम मानकर ने चुनाव जीता पर उसके बाद 1967 से 1985 तक इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिलती रही और 1990 तक उसका यहां एकछत्र राज देखने को मिला। इसके बाद 1990 के चुनाव में बालापुर में भाजपा ने बाजी मारी। वहीं 1999 में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की। लेकिन 2004 में भाजपा के हाथों सीट गंवाने के बाद कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर पाई है।
2009 और 2014 में प्रकाश आंबेडकर की भारिपा बहुजन महासंघ के बलिराम सिरसकर ने सबको धूल चटाते हुए बालापुर पर अपना कब्जा जमाया। वहीं 2019 में सभी पार्टियों के गुणा-गणित को बिगाड़ कर शिवसेना ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की। मौजूदा विधायक नितिन देशमुख शिवसेना (यूबीटी) के नेता हैं।
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बालापुर विधानसभा सीट अकोला जिले में स्थित एक जनरल कैटगरी की सीट है। यह अकाेला लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इस सीट पर दलित और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा हैं। बालापुर विधानसभा सीट पर 2019 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक कुल 2 लाख 95 हजार 885 वोटर्स है। इनमें से 69,519 मतदाता दलित समुदाय से आते हैं जो लगभग 21.9 फीसदी के करीब है। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो उनकी संख्या 23.8 फीसदी यानी लगभग 75,550 है। साथ ही 6.27 फीसदी आदिवासी मतदाता भी है।
बालापुर विधानसभा सीट के पिछले कुछ वर्षाें के आंकड़ों का आंकलन किया जाए तो पता लगता है कि यहां त्रिकोणीय मुकाबला होता है। ऐसे में इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।
2024 में महायुति, महाविकास आघाड़ी और प्रकाश आंबेडकर की वीबीए के बीच मुकाबला होगा। इस सीट पर जीत के लिए दलित और मुस्लिम मतदाता अहम राेल अदा करेंगे। ऐसे में किसका समीकरण सही बैठता है, यह 23 नवंबर को आने वाले चुनाव के नतीजों से साफ हो जाएगा।