(डिजाइन फोटो)
अकोला: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। निर्वाचन आयोग ने 15 अक्टूबर को इसकी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया हैं। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को 288 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। वहीं 23 नवंबर को इसके नतीजे सामने आएंगे। निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही गठबंधनों में सीट बंटवारे को पेंच अभी सुलझा नहीं है। दोनों ही गठबंधन जल्द ही सीट शेयरिंग की ऐलान करने का दावा कर हैं।
ऐसे में अब नेताओं के दिल की धड़कने तेज होने लगी है। चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता अपनी-अपनी दावेदारी की पेशकश हाईकमान तक पहुंचा रहा है। कोई खुल कर जनता के बीच अपनी उम्मीदवारी का दम भर रहा है तो कोई दबे पांव पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक अपनी बातें पहुंचाने में लगा हुआ है। वहीं निर्दलीय लड़ने के इच्छा रखने वाले उम्मीदवार भी जीत हार का गुणा-गणित बिठाने में लगे हुए हैं।
इस चुनावी माहौल में हम भी अपने हिस्से की जिम्मेदारी को पूरा करने को काेशिश में जुटे हैं और आप तक हर विधानसभा सीट का विश्लेषण पहुंचा रहे हैं। विश्लेषण की इस कड़ी में अब हम अकोला जिले में पहुंच चुके है। आज बात होगी अकोला जिले की अकोट विधानसभा सीट की। जहां 2014 से बीजेपी का कब्जा है।
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अकोट विधानसभा क्षेत्र अकोला जिले में स्थित पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। यह अकोला संसदीय क्षेत्र का एक हिस्सा है। यह सीट 1962 से अस्तित्व में है। इस दलित-मुस्लिम मतदाता बहुल सीट पर शुरूआत में कांग्रेस का दबदबा रहा लेकिन 1990 से यहां कांग्रेस वापसी नहीं कर पाई है। 1990 में शिवसेना पहली बार यह सीट कांग्रेस से छीनी थी। इसके बाद यहां शिवसेना और बीजेपी का दबदबा रहा। यहां जीत और हार में प्रकाश आंबडेकर की वंचित बहुजन आघाड़ी भी अहम रोल निभाती है।
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अकोल विधानसभा पर 2019 के आंकड़ों के मुताबिक कुल 2 लाख 85 हजार 150 वोटर्स है। इस सीट पर जीत और हार के लिए दलित व मुस्लिम मतदाता अहम साबित होते हैं। इस सीट पर दलित, मुस्लिम व आदिवासी मतादाताओं को मिला दिया जाए तो इनकी संख्या तकरीबन 50 फीसदी हो जाती हैं। यहां 16 फीसदी दलित तो 26 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। वहीं आदिवासी मतदाताओं की संख्या 7 प्रतिशत के करीब है।
इस सीट पर पिछले कुछ सालों से त्रिकोणीय मुकाबला होता रहा है। ऐसे में बार भी त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद की जा रही हैं। महायुति से यह सीट बीजेपी लड़ सकती है क्योंकि यहां से मौजूदा विधायक बीजेपी के प्रकाश भारसाकले है। वहीं महाविकास आघाड़ी में यह सीट किसके खाते में जाती है यह देखना होगा। यदि यहां से कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी तो उसे जीत के लिए वंचित बहुजन आघाडी को दलित और मुस्लिम वोट ट्रांसफर होने से रोकना होगा।
विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी यदि मुस्लिम और दलित वोट को बंटने से रोकती है तो एमवीए यहां से जीत की पटरी पर वापस आ सकती है। वहीं बीजेपी चाहेगी कि एमवीए और प्रकाश आंबेडकर की पार्टी का विभाजन हो और बाजी भाजपा के हाथ लग जाए।