दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों से फ्यूल बैन हटा (फोटो- सोशल मीडिया)
Fuel Ban on Overaged Vehicles दिल्ली और एनसीआर में अब पुराने वाहनों को लेकर एक बड़ा फैसला बदल दिया गया है। अब 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों (EOL व्हीकल्स) पर ईंधन देने पर रोक 1 नवंबर 2025 से लागू की जाएगी। इस नियम को लेकर काफी विवाद और चिंताएं थीं, लेकिन अब वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की बैठक में इस नई तिथि पर सहमति बनी है। इससे पहले यह बैन 1 जुलाई से लागू होना था, लेकिन जनविरोध और राजनीतिक असहमति के कारण इसे टाल दिया गया।
इस फैसले का असर न सिर्फ दिल्ली, बल्कि एनसीआर के पांच प्रमुख जिलों नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत में भी होगा। इन जिलों में भी अब 1 नवंबर से पुराने वाहनों को पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। CAQM ने माना कि एकरूपता के लिए पूरे एनसीआर में यह नीति एक साथ लागू होनी चाहिए, ताकि वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को मजबूती मिल सके।
एलजी और सीएम के बीच टकराव
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर नियमों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने लिखा कि यह फैसला व्यवहारिक नहीं है और इससे मध्यम वर्ग को सबसे अधिक नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि कई लोग अपनी पूरी पूंजी लगाकर वाहन खरीदते हैं और अचानक उसे अमान्य घोषित करना अनुचित होगा।
एलजी ने सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट में 2018 के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर करनी चाहिए। उन्होंने CAQM की गाइडलाइंस की व्यवहारिकता पर भी सवाल उठाए। सीएम रेखा गुप्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जनहित को ध्यान में रखते हुए नियमों को फिलहाल टाल दिया गया है, लेकिन वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए ठोस कदम आवश्यक हैं।
क्या है CAQM और इसका उद्देश्य?
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) केंद्र सरकार द्वारा अगस्त 2021 में स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली-NCR क्षेत्र में वायु गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों को नियंत्रित, समन्वित और बेहतर ढंग से हल करना है। आयोग नीति निर्माण, निगरानी और वैज्ञानिक सलाह पर आधारित निर्णयों के लिए काम करता है।
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CAQM की हालिया बैठक में फैसला लिया गया कि अब से पूरे NCR क्षेत्र में पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। इससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी, जो हर सर्दियों में गंभीर रूप धारण करता है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की राहत सिर्फ कानूनन समीक्षा या सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही संभव है।