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Ziradei Assembly Constituency: बिहार के सिवान जिले की जीरादेई विधानसभा सीट एक बार फिर चुनावी चर्चा का केंद्र बन गई है। यह वही धरती है, जिसने भारत को पहला राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसा महान नेता दिया। साथ ही, यह क्षेत्र नटवरलाल और मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसे चर्चित नामों से भी जुड़ा रहा है, जो इसे इतिहास, राजनीति और जनमत के अनोखे संगम में बदल देते हैं।
जीरादेई का नाम डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जुड़ा है, जिनका जन्म यहीं 3 दिसंबर 1884 को हुआ था। वे संविधान सभा के अध्यक्ष और देश के पहले राष्ट्रपति बने। इसी क्षेत्र से मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव, यानी नटवरलाल का नाम भी जुड़ा है, जिन्होंने अपने ठगी के कारनामों से देशभर में प्रसिद्धि पाई। दोनों कायस्थ परिवारों से थे, दोनों ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की, लेकिन उनके रास्ते बिल्कुल अलग रहे।
जीरादेई का नाम एक समय राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन से भी जुड़ा रहा, जिन्होंने 1990 और 1995 में इस सीट से जीत दर्ज की। बाद में वे सिवान से चार बार सांसद बने। लालू यादव के शासनकाल में वे प्रभावशाली लेकिन विवादास्पद चेहरा बने रहे। 2005 में उनकी गिरफ्तारी ने उनके राजनीतिक जीवन को झटका दिया और जीरादेई की राजनीति में नया मोड़ आया।
1957 में स्थापित जीरादेई विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में जीरादेई, नौतन और मैरवा प्रखंड शामिल हैं। यह सिवान लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की है। 1985 के बाद से कांग्रेस यहां कमजोर रही है।
इस सीट पर जनता दल, जदयू, राजद और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है, जबकि भाजपा, सीपीआई(एमएल), स्वतंत्र पार्टी और जनता पार्टी ने एक-एक बार सफलता पाई है। पिछले दो दशकों में किसी भी उम्मीदवार को लगातार दो बार जीत नहीं मिली, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यहां के मतदाता बदलाव पसंद करते हैं और हर चुनाव में नए विकल्प तलाशते हैं।
राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन ने इस सीट पर दो बार जीत हासिल की है—2015 में जदयू और 2020 में सीपीआई(एमएल) के उम्मीदवार के रूप में। यह दर्शाता है कि यहां पार्टी से ज्यादा उम्मीदवार की छवि और जातीय समीकरण मायने रखते हैं। कायस्थ, भूमिहार, यादव और राजपूत समुदाय यहां प्रभावशाली हैं, जो हर चुनाव में समीकरणों को नया रूप देते हैं।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जीरादेई की कुल जनसंख्या लगभग 4.85 लाख है, जिसमें पुरुषों की संख्या थोड़ी अधिक है। मतदाता सूची में 2.83 लाख से अधिक नाम दर्ज हैं। यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां 93.61 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है। शहरी भाग केवल 6.4 प्रतिशत है, जिससे ग्रामीण मुद्दे चुनावी विमर्श में प्रमुखता से शामिल रहते हैं।
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जीरादेई विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव केवल राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं, बल्कि जनता की सोच, इतिहास की विरासत और सामाजिक संतुलन की कसौटी भी होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यहां फिर बदलाव की लहर चलेगी या कोई दल अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखेगा।